जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान से सबसे तरजीही राष्ट्र (मोस्ट फेवर्ड नेशन या एमएफएन) का दर्जा वापस ले लिया। इस कदम से पाकिस्तानी कारोबारियों के लिए भारत में कारोबार करना मुश्किल होगा। क्योंकि, उनकी रियायतें खत्म हो जाएंगी। भारत ने पाकिस्तान से आयातित वस्तुओं पर दो सौ फीसद से ज्यादा का सीमा शुल्क लगाने का ऐलान किया है। बताया ज्यादा है कि कारोबारियों का मुनाफा कम होगा। ज्यादा आयात शुल्क देना होगा।

क्या होता है एमएफएन
विश्व व्यापार संधि के तहत यह एक खास दर्जा होता है। यह दर्जा व्यापार में सहयोगी राष्ट्रों को दिया जाता है। इसमें एमएफएन को भरोसा दिलाया जाता है कि उसके साथ भेदभाव रहित व्यापार किया जाएगा। डब्ल्यूटीओ के नियमों के अनुसार भी ऐसे दो देश एक-दूसरे से किसी भी तरह का भेदभाव नहीं कर सकते। इसमें यह भी कहा गया है कि अगर व्यापार सहयोगी को खास दर्जा दिया जाता है तो इस संधि से जुड़े सभी सदस्य राष्ट्रों को भी वैसा ही दर्जा दिया जाना चाहिए। कोई भी देश जिसे यह दर्जा मिला हो, वह किसी दूसरे देश की तुलना में घाटे में नहीं रहेगा। जब किसी देश को यह दर्जा दिया जाता है तो उससे उम्मीद की जाती है कि वह शुल्कों में कटौती करेगा। उन दोनों देशों के बीच कई वस्तुओं का आयात और निर्यात भी बिना किसी शुल्क के होता है। भारत ने पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन का दर्जा 1996 में दिया था। लेकिन पाकिस्तान ने आज तक भारत को यह दर्जा नहीं दिया है।

एमएफएन का असर क्या
एमएफएन का दर्जा मिलने के बाद आयात-निर्यात में विशेष छूट मिलती है। इसमें दर्जा पाने वाला देश सबसे कम आयात शुल्क पर कारोबार करता है। विकासशील देशों के लिए यह फायदे का सौदा है। इससे इन देशों को एक बड़ा बाजार मिलता है। जिससे वे अपने सामान को वैश्विक बाजार में आसानी से पहुंचा सकते हैं। डब्ल्यूटीओ की धारा 21बी के तहत कोई भी देश उस सूरत में किसी देश से यह दर्जा वापस ले सकता है, जब दोनों देशों के बीच सुरक्षा संबंधी मुद्दों पर विवाद उठ गया हो। इसके लिए तमाम शर्तें पूरी करनी होती हैं। भारत अपने फैसले को लेकर डब्ल्यूटीओ को लिखने की तैयारी कर रहा है।

पड़ोसी पर क्या हो सकता है प्रभाव
पाकिस्तानी कारोबारियों को अब ज्यादा आयात शुल्क दोना होगा वहां के कारोबारियों का मुनाफा कम हो जाएगा। भारत में पाकिस्तान से कुल 19 प्रमुख उत्पादों का आयात होता है। इन उत्पादों में अमरूद, आम, अनानास, फैब्रिक कॉटन, साइक्लिक हाइड्रोकॉर्बन, पेट्रोलियम गैस, पोटलैंड सीमेंट, कॉपर वेस्ट और स्क्रैप, कॉटन यॉर्न, चीनी, आॅर्गेनिक केमिकल, रुई, सब्जियों और कुछ चुनिंदा फलों, सूखे मेवे, इस्पात जैसे उत्पाद शामिल हैं। भारत के इस ऐतिहासिक फैसले से पाकिस्तान द्वारा भारत को निर्यात किए जाने वाले 48.8 करोड़ डॉलर के कारोबार पर असर पड़ सकता है। भारत सरकार के इस फैसले का ऐलान करते हुए केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने ट्वीट किया, पुलवामा हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान को दिया गया दर्जा छीन लिया है। सभी उत्पादों पर तत्काल प्रभाव से 200 फीसद तक कस्टम ड्यूटी बढ़ाई जा रही है। भारत ने पाकिस्तान से 2017-18 में 48.8 करोड़ डॉलर का आयात किया था, जबकि 1.92 अरब डॉलर का निर्यात किया था। इससे पहले 2016-17 में दोनों देशों के बीच 2.27 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था। जानकारों की नजर में यह असर बड़ा नहीं होगा, क्योंकि भारत के विदेश व्यापार में पाकिस्तान से सीधी हिस्सेदारी मात्र 0.83 फीसद है। आयात भारत के कुल आयात का महज 0.13 फीसद है। पाकिस्तान अपना अधिकतर माल हांगकांग, अरब और खाड़ी देशों के जरिए भेजता है।

पाकिस्तान की स्थिति
1996 में खुद को एमएफएन दर्जा मिलने के बावजूद पाकिस्तान ने कभी भारत को यह दर्जा नहीं दिया। उसकी तरफ से महज ऐसा किए जाने पर विचार की बात कही की जाती रही है। पाकिस्तान ने पहले ही 1209 वस्तुओं के भारत से आयात पर प्रतिबंध लगा रखा है। महज 138 भारतीय उत्पाद ही वहां निर्यात होते हैं, जिन पर एमएफएन दर्जा नहीं होने से पहले ही भारी शुल्क लागू है। संभावना महज इतनी है कि पाकिस्तान इन उत्पादों पर शुल्क बढ़ोतरी कर सकता है।

भारत और पाकिस्तान के बीच एमएफएन का मुद्दा भावनाओं का उद्गार ज्यादा है। कारोबार पर असर कम होगा, क्योंकि भारत ने द्विपक्षीय कारोबार पर पूर्ण रोक नहीं लगाई है। ऐसा करना डब्ल्यूटीओ के तहत मुश्किल है। सीमा शुल्क बढ़ाने से आयात कुछ कम हो सकता है। लेकिन यह भी देखना होगा कि पाकिस्तान से भारत को आयात प्रत्यक्ष कम और परोक्ष ज्यादा है। दुबई, सिंगापुर और खाड़ी देशों के बाजारों के जरिए पाकिस्तान का माल ज्यादा आता है।
– प्रोफेसर विश्वजीत धर, अंतरराष्ट्रीय संबंध, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय

पाकिस्तान पर दबाव बने इसके लिए एमएफएन अपयाप्त है। अगर हम उनके नागरिकों को वीजा पर रोक लगा दें तो ज्यादा असर होगा। परिवार, स्वास्थ्य, कारोबार- हर तक के वीजा पर रोक से आर्थिक असर ज्यादा होगा। ट्रांसप्लांट के केस में पाकिस्तानी नागरिक भारत के अस्पतालों पर निर्भर करने लगे हैं। उरी हमले के बाद मेडिकल वीजा नियम सख्त किए गए थे। असर दिखा था। अब रोक लगानी चाहिए।
– देबा मोहंती, रक्षा एवं सामरिक
मामलों के विशेषज्ञ

यह देखना होगा कि तरजीही राष्ट्र का दर्जा खत्म किए जाने से कुल असर कितना पड़ रहा है। क्या इसका मतलब पाकिस्तान से आयात पर पूर्ण प्रतिबंध है? क्या जमीन या समुद्र के रास्ते वहां से सामान लाने पर रोक लगा दी गई है? हमने सीमा शुल्क बढ़ा दिया है। ऐसे में क्या सच में वहां से हो रहा भारत को आयात प्रभावित होगा? या वहां की कुछ चीजें भारतीयों को ही महंगी मिलेंगी। कारगिल के समय भारत ने जमीन के रास्ते कारोबार पर रोक लगाई थी, लेकिन समुद्र के रास्ते यह जारी रहा।
-प्रोफेसर निशा तनेजा, भारत-पाकिस्तान कारोबार विशेषज्ञ