एनआरसी की गाज असम के वैश्यालयों पर भी गिरी है। सिलचर में 200 से अधिक सेक्स वर्कर्स अपना नाम नागरिक रजिस्टर में दर्ज कराने से असफल रही हैं। 13 सितंबर को सरकार ने एनआरसी की फाइनल लिस्ट पब्लिश की थी। जिसमें 3.3 करोड़ लोगों ने अपना नाम दर्ज कराने के लिए आवेदन भेजा था। फाइनल लिस्ट में उन लोगों का नाम था जिन्हें भारत का नागरिक मान लिया गया। नागरिक रजिस्टर में करीब 19 लाख लोग अपना नाम दर्ज कराने में असलफल रहे।
गौरतलब है कि सिलचर के रेड-लाइट इलाका डाउनटाउन में रहने वालीं 200 से अधिक सेक्स वर्करों को भारतीय नागरिक नहीं माना गया है। ‘नॉर्थइस्ट नाउ’ की रिपोर्ट के मुताबिक सेक्स वर्कर इसलिए एनआरसी में अपना नाम दर्ज कराने में असफल रही, क्योंकि उनके परिजनों ने उन्हें अपने खानदानी विरासत से किसी तरह के जुड़ाव से अलग कर दिया। इनमें से अधिकांश का नाम इसलिए भी शामिल नहीं हो पाया, क्योंकि इनके पास अपने आपको भारतीय नागरिक साबित करने वाले दस्तावेज नहीं थे।
‘नॉर्थईस्ट नाउ’ से बातचीत में एक समाजसेवी ने बताया कि यहां आने वाली अधिकांश औरतें मानव तस्करी का परिणाम हैं। इनके पास न तो वोटर-आईडी है और न ही आधार कार्ड (AADHAAR) है। इस दौरान सिचलर में रहने वालीं सेक्स वर्करों को पहचान दिलाने के लिए कई महिला वकील लड़ाई लड़ रही हैं। इनका मानना है कि ये भी समाज का हिस्सा हैं और इन्हें इनके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।