2022 में पहली बार एक साल में 15 हजार से ज्यादा प्रतिरोपण हुए। केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने रविवार को यह जानकारी दी। भूषण ने स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से आयोजित ‘राष्ट्रीय अंग एवं ऊतक प्रतिरोपण संगठन (एनओटीटीओ) वैज्ञानिक संवाद 2023’ में कहा कि इसके अलावा प्रतिरोपण के मामलों में 27 फीसद की वार्षिक वृद्धि हुई। भूषण ने तीन प्राथमिकता वाले क्षेत्रों का जिक्र किया जिनमें कार्यक्रम संबंधी पुनर्गठन, संचार रणनीति और पेशेवरों का कौशल शामिल है।
उन्होंने मौजूदा संरचनाओं और दिशानिर्देशों को अद्यतन करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि हमारे पास विभिन्न शासन स्तरों जैसे राष्ट्रीय स्तर पर, राज्य स्तरों और क्षेत्रीय स्तरों पर अंग एवं ऊतक प्रतिरोपण संगठन, संरचनाएं मौजूद हैं।भूषण ने नए दिशानिर्देशों व अधिवास आवश्यकता को समाप्त करने जैसे परिवर्तनों का स्वागत किया।
उन्होंने देश में तकनीकी मानव शक्ति के तर्कसंगत उपयोग और उन्हें प्रशिक्षण देने व उन्हें तृतीयक देखभाल सुविधाओं से लैस करने की जरूरत पर जोर दिया। देश की बदलती जनसांख्यिकी को रेखांकित करते हुए स्वास्थ्य सचिव ने कहा कि बुजुर्गों की जनसंख्या बढ़ रही है और उनके लिए जीवन की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए संचार और जागरूकता रणनीति को अद्यतन करना बहुत महत्त्वपूर्ण हो जाता है, ताकि संभावित अंगदाता सामने आ सकें। उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और इस क्षेत्र के विशेषज्ञों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों, नए डिजाइन किए गए पाठ्यक्रमों और डिजिटल उपायों के माध्यम से व्यापक रूप से अभिविन्यास और पुनर्विन्यास कार्यक्रम शुरू करने का सुझाव दिया।
उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षण कार्यक्रमों के साथ-साथ, न केवल प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से बल्कि हितधारकों और गैर-सरकारी संगठनों के माध्यम से भी व्यापक प्रचार और जागरूकता शुरू की जा सकती है। उन्होंने प्रभावी ढंग से अंगदान के बारे में जानकारी देने और लोगों को इस बेहतर कार्य में योगदान करने का एहसास कराने के लिए एक बहु-हितधारक प्रक्रिया पर जोर दिया।
भूषण ने कहा कि देश में 640 से अधिक मेडिकल अस्पताल और कालेज होने के बावजूद प्रत्यारोपण कुछ अस्पतालों तक ही सीमित विशेष सेवा बन गई है। ऐसे संस्थानों की संख्या बढ़ाने की जरूरत है, जहां सर्जरी और प्रत्यारोपण किए जा सकें। इस प्रकार देश में सर्जरी और प्रत्यारोपण को बढ़ावा देने के लिए बुनियादी ढांचे का अधिकतम उपयोग किया जाना चाहिए।
‘हाई केस लोड’ वाले संस्थानों की पहचान करने और उन्हें एनओटीटी कार्यक्रम के नेटवर्क के तहत लाए जाने की जरूरत है। उन्होंने सुझाव दिया कि परामर्श और विचार-विमर्श से समझौता ज्ञापन को बढ़ावा मिल सकता है और उसके परिणामस्वरूप राज्य एवं क्षेत्रीय स्तर पर उत्कृष्टता केंद्रों का निर्माण किया जा सकता है।जहां जरूरतमंदों को ये विशिष्ट सेवाएं उपलब्ध कराई जा सकती हैं।
