ऐसे समय में जब देश के कई हिस्सों से ब्लैक और व्हाइट फंगस के मामलों की बढ़ती संख्या की खबरें सामने आ रही हैं। गाजियाबाद में कोविड ​​​​-19 से उबरने वाले एक 45 वर्षीय व्यक्ति में यलो फंगस संक्रमण का पता चला है। इस तरह से पीड़ित यूपी में इस संक्रमण से प्रभावित होने वाला पहला व्यक्ति बन गया है। एक स्वास्थ्य अधिकारी ने यह जानकारी दी।

ईएनटी विशेषज्ञ डॉ बीपी त्यागी ने कहा कि पीड़ित में तीन प्रकार के फंगल संक्रमण का पता चला है। ब्लैक,व्हाइटऔर यलो संक्रमण के बारे में एंडोस्कोपी के जरिए पता चला है। डॉक्टर ने बताया, ‘सीटी स्कैन में मरीज का साइनस सामान्य था लेकिन एंडोस्कोपी करने के बाद हमें पता चला कि उसे तीन तरह के फंगस (ब्लैक, व्हाइट और यलो) हो गए हैं। पीला फंगस आमतौर पर रेपटाइल में पाया जाता है। मैंने इसे पहली बार मानव में पाया। इस बारे में किसी जर्नल में कोई जिक्र नहीं है।’

त्यागी ने यह भी कहा कि यलो फंगस के संक्रमण को एंटी-फंगल दवा एम्फोटेरिसिन बी से ठीक किया जा सकता है लेकिन व्हाइट और ब्लैक फंगस की तुलना में घाव को ठीक करने में समय लगता है। उन्होंने कहा, “मरीज सेप्टिसीमिया में है लेकिन वह ठीक नहीं है। हम उसे दवा दे रहे हैं। प्रशासन ने हमें एम्फोटेरिसिन बी के लिए आश्वासन दिया है।”

त्यागी के अनुसार जहां तक ​​इस रोग के लक्षणों की बात है तो भूख कम होने पर शरीर में सुस्ती बनी रहती है, जिससे वजन कम होने लगता है। शरीर के घाव भी बहुत धीरे-धीरे भरते हैं। इस बीमारी से बचने के लिए साफ-सफाई बहुत जरूरी है, क्योंकि गंदगी के कारण संक्रमण शुरू हो जाता है। आप अपने आस-पास जितना साफ-सफाई रखेंगे उतना ही आप इस बीमारी से सुरक्षित रह सकते हैं।

मरीज के बेटे अभिषेक के मुताबिक, ”मेरे पिता का कोरोना का इलाज चल रहा था और वह ठीक हो रहे थे. पिछले दो-तीन दिनों में उनकी आंखों में सूजन आने लगी और अचानक वे पूरी तरह से बंद हो गईं। नाक से खून बह रहा था और पेशाब का रिसाव हो रहा था.”

इस बीच, म्यूकोर्मिकोसिस, या “ब्लैक फंगस” के चलते मरीजों में धुंधली या दोहरी दृष्टि, सीने में दर्द और सांस लेने में कठिनाई जैसे लक्षण देखे जा रहे हैं। केंद्र के अनुसार, 21 मई तक देश भर में कम से कम 8,848 ऐसे मामले सामने आए हैं।