संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका अंतिम जन ने इस बार के अंक को स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर को समर्पित किया है। गौरतलब है यह पत्रिका गांधी स्मृति और दर्शन स्मृति (जीएसडीएस) द्वारा प्रकाशित की होती जोकि संस्कृति मंत्रालय के अधीन काम करती है। बता दें कि इसके अध्यक्ष प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं।

मासिक पत्रिका अंतिम जन में वीर सावरकर के एतिहासिक कद को महात्मा गांधी के बराबर बताया गया है। जीएसडीएस के उपाध्यक्ष और भाजपा नेता विजय गोयल का मानना है कि यह दुखद है कि जिन लोगों ने (स्वतंत्रता संग्राम के दौरान) जेल में एक दिन भी नहीं बिताया, और समाज के लिए योगदान नहीं दिया, वे सावरकर जैसे देशभक्त की आलोचना करते हैं। सावरकर का इतिहास में स्थान और स्वतंत्रता आंदोलन में उनका सम्मान महात्मा गांधी से कम नहीं है।

गोयल ने लिखा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि सावरकर के योगदान के बावजूद उन्हें कई सालों तक स्वतंत्रता के इतिहास में उचित स्थान नहीं मिला। वहीं जीएसडीएस के अधिकारियों ने कहा कि जून के अंक को सावरकर को 28 मई को उनकी जयंती के अवसर पर समर्पित किया गया था। जीएसडीएस इसी तरह से स्वतंत्रता सेनानियों को आजादी के 75 साल पूरे होने पर पत्रिका के आने वाले अंक समर्पित करना जारी रखेगा।

इस पत्रिका के जून के अंक में सावरकर का एक स्केच भी तैयार किया गया है। वहीं 68 पेज के लगभग एक तिहाई अंक पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, मराठी रंगमंच और फिल्म लेखक श्रीरंग सहित गोडबोले, राजनीतिक टिप्पणीकार उमेश चतुर्वेदी, और लेखक कन्हैया त्रिपाठी जैसे कई लेखकों द्वारा हिंदुत्व विचारक पर निबंध और लेखों को समर्पित है।

इसमें हिंदुत्व और गोयल की प्रस्तावना के बाद भारत में धार्मिक सहिष्णुता पर महात्मा का एक निबंध भी है। इसमें लेखक मधुसूदन चेरेकर ने गांधी और सावरकर के बीच संबंधों के बारे में लिखा है। इसके अलावा इस अंक में एक पेज पाठकों को सावरकर द्वारा लिखित पुस्तकों से परिचित कराता है।

गांधी स्मृति और दर्शन स्मृति को 1984 में स्थापित किया गया था। इसका मुख्य उद्देश्य महात्मा गांधी के जीवन, मिशन और विचारों को विभिन्न सामाजिक-शैक्षिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से प्रचारित करना है।