Monsoon Session News: संसद का मानसून सत्र आज सोमवार से शुरू हो रहा है। पहले से ही अटकलें लगनी शुरू हो चुकी हैं कि इस बार का सत्र काफी हंगामेदार होने जा रहा है, कई मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच में सियासी जंग देखने को मिल सकती है। रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक ने भी साफ कर दिया है कि इस बार के मानसून सत्र में सियासी पारा बढ़ने जा रहा है। अब यहां समझने की कोशिश करते हैं कि इस बार के सत्र में कौन-कौन से मुद्दे उठने वाले हैं, आखिर सरकार किन बिल्स को पेश कर सकती है-

कौन-कौन से बिल हो सकते हैं पेश?

ऐसी खबर है कि सरकार इस मानसून सत्र में 16 बिल पेश कर सकती है। इस लिस्ट में मर्चेंट शिपिंग बिल, इंडियन पोर्ट्स बिल 2025, तटीय नौवहन विधेयक, नेशनल स्पोर्ट्स गवर्नेंस बिल, नेशनल एंटी-डोपिंग संशोधन बिल, मणिपुर GST बिल, IIM संशोधन बिल और टैक्सेशन संशोधन बिल की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। यहां भी सरकार की प्राथमिकता में आयकर विधेयक रहने वाला है जो लंबे समय से लंबित चल रहा है।

इस बार के मानसून सत्र में कई मुद्दों पर चर्चा होने वाली है। लेकिन सबसे तीखी बहस ऑपरेशन सिंदूर पर देखने को मिलेगी। सर्वदलीय बैठक के दौरान केंद्र सरकार ने विपक्ष की एक बड़ी मांग को मान लिया है। असल में विपक्ष चाहता था कि ऑपरेशन सिंदूर पर संसद में चर्चा की जाए। अब सरकार भी इसके लिए तैयार हो चुकी है। कांग्रेस के गौरव गोगई ने तो साफ कहा है कि पहलगाम हमले में कहां चूक हुई, इस पर सरकार को जवाब देने की जरूरत है। बड़ी बात यह है कि विपक्ष इस संवेदनशील मुद्दे पर सीधे पीएम मोदी से जवाब चाहता है।

किन मुद्दों पर हो सकती है चर्चा?

इस समय राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप लगातार सीजफायर को लेकर बड़े दावे कर रहे हैं, पीएम मोदी की सफाई के बाद भी अंतरराष्ट्रीय पटल पर उनका स्टैंड कायम है। ट्रंप तो ट्रेड के जरिए भी तनाव कम करने की बात कर रहे हैं। ऐसे में विपक्ष चाहता है कि इस मानसून सत्र में इस मुद्दे पर भी सरकार अपना स्टैंड स्पष्ट करे। सरकार संसद से पहले जरूर कई मौकों पर अपनी बात रख चुकी है, लेकिन संसद की पटल में आधिकारिक बयान के मायने अलग होंगे।

विपक्ष इसके अलावा बिहार में SIR प्रक्रिया का मुद्दा भी उठाने जा रहा है, वोटर रिवीजन की एक्सरसाइज को लेकर विवाद थमा नहीं है, बीजेपी और चुनाव आयोग पर ही गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सुप्रीम कोर्ट में भी सुनवाई जारी है, अब संसद में इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिलेगा। ऐसी खबर है कि इन मुद्दों के अलावा मणिपुर पर भी संसद में चर्चा संभव है, वहां राष्ट्रपति शासन बढ़ा दिया गया है, ऐसे में सरकार से आगे के रोडमैप को लेकर चर्चा संभव है। इसके अलावा हिंदी-मराठी विवाद पर भी सवाल पूछे जा सकते हैं।

सरकार का अभी के लिए साफ कहना है कि जिन मुद्दों पर सहमति बनेगी, उन पर ही संसद में चर्चा भी की जाएगी। विपक्ष द्वारा उठाए जा रहे हर मुद्दे पर संसद में मंथन नहीं हो सकता है। इसी वजह से माना जा रहा है कि इस बार का मानसून सत्र काफी हंगामेदार रहने वाला है। पिछली बार का बजट सत्र भी काफी हंगामेदार रहा था, चर्चा कम और विरोध ज्यादा देखने को मिला था। सरकार ने इस बार अपील जरूर की है कि चर्चा पर जोर देना है, लेकिन असल स्थिति कैसी रहती है, ये आने वाले दिनों में ही स्पष्ट होगा।

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