Amogh Lila Das News: अमोघ लीला दास ने विवादित टिप्पणी को लेकर माफी मांग ली है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद को लेकर एक टिप्पणी की थी। अमोघ लीला दास ने स्वामी विवेकानंद के मछली खाने को लेकर टिप्पणी की थी। इसके बाद बवाल हो गया था। अब उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि है कि उनका मकसद किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं था। बता दें कि अमोघ इंटरनेशनल सोसायटी ऑफ कृष्णा कॉन्शियसनेस (ISCON) से जुड़े हैं। जब उनकी विवेकानंद को लेकर टिप्पणी सामने आई तो इस्कॉन ने उन पर प्रतिबंध लगा दिया।

वीडियो शेयर कर मांगी माफी

अमोघ लीला दास की ओर से एक वीडियो शेयर किया गया है। इसमें उन्होंने लोगों से माफी मांगी। उन्होंने कहा कि वह किसी को भी न तो दुखी करना चाहते थे और न ही बुरा महसूस करवाना चाहते थे। उन्होंने कहा कि मैं इस वीडियो के जरिए उन सभी लोगों और संतों से माफी मांगता हूं, जिनकी मेरी उन टिप्पणियों से भावनाएं आहत हुईं, जो मैंने स्वामी विवेकानंद और रामकृष्ण परमहंस जी को लेकर की थीं। अमोघ लीला दास ने कहा कि मैंने कुछ ऐसा बोल दिया, जिसे सुनने वालों को दुख पहुंचा। अपनी वाणी के लिए मैं ह्रदय से क्षमा चाहता हूं। भविष्य में मैं ध्यान रखूंगा कि मुंह से ऐसा कुछ भी ना निकले, जिससे किसी को दुख पहुंचे।’

क्या दिया था बयान?

अमोघ लीला दास ने प्रवचन के दौरान कहा था कि क्या कोई दिव्यपुरुष कोई जानवर को मारकर खाएगा? क्या कभी मछली खाएगा? मछली को भी दर्द होता है ना? और अगर विवेकानंद मछली खाएं तो क्या एक सिद्धपुरुष मछली खा सकता है? नहीं खाएगा। सिद्धपुरुष के ह्रदय में करुणा होती है।’स्वामी विवेकानंद के अलावा उन्होंने उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस के विचार ‘जातो मत, ततो पथ’ (जितने विचार, उतने रास्ते) पर भी टिप्पणी की और कहा कि हर रास्ता एक ही मंजिल तक नहीं जाता है।’

मांसाहार पर क्या था स्वामी विवेकानंद का विचार?

स्वामी विवेकानंद ने मांसाहार को लेकर कई बार अपने विचार सामने रखे थे। एक बार एक शिष्य ने स्वामी विवेकानंद से पूछा कि क्या मछली और मांस का सेवन जरूरी है? इस सवाल के जवाब में स्वामी विवेकानंद ने शिष्य को मांस और मछली खाने की सलाह दी थी। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि अगर ऐसा करने से किसी तरह का कोई नुकसान पहुंचता है तो मैं उसका खयाल रखूंगा। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि हमारे देश की भीड़ को देखो, हर किसी चेहरे पर उदासी और दिल में साहस और उत्साह की कमी नजर आती है। इन लोगों के बड़े-बड़े पेट हैं और हाथ-पांव में बिल्कुल भी जान नहीं है।