सुप्रीम कोर्ट में एक केस की सुनवाई के दौरान वकील ने अपने केस को लेकर Adjournment की मांग की तो जस्टिस गुस्से से भड़क गए। वकील कह रहा था कि माई लॉर्ड फिलहाल आप सुनवाई को स्थगित करके दूसरी तारीख दे दीजिए। जस्टिस ने गुस्से में लाल पीला होकर उसकी मांग ठुकरा दी।

जस्टिस पीएस नरसिम्हा ने गुस्से से भड़कते हुए वकील को झाड़ पिलाई। उनका कहना था कि आपको पता भी है कि सुप्रीम कोर्ट में केस लगवाने में कितना समय और पैसा जाया होता है। आपने सोचे समझे बगैर स्थगन की मांग कर दी। आप अपनी सुविधा के हिसाब से काम कर रहे हैं। दूसरों का भी तो ख्याल रखिए। जस्टिस ने स्थगन की मांग को सिरे से खारिज करते हुए वकील को आदेश दिया कि वो अपने केस के कागजात कोर्ट में पढ़े।

एडवोकेट से बोले जस्टिस नरसिम्हा- कुछ तो गंभीरता दिखाइए

वाकया जस्टिस पीएस नरसिम्हा की वेकेशन बेंच का है। जस्टिस अपनी सीट पर बैठे ही थे कि एक वकील ने उनसे कहा कि वो उनके केस में Adjournment दे दें। जस्टिस ने वकील को फटकार लगाते हुए कहा कि पहले तो आपने वेकेशन बेंच के सामने केस लिस्ट कराने की दरखास्त लगाई। फिर आप खुद ही आकर कह रहे हो कि केस में स्थगन दे दिया जाए। आपने सुप्रीम कोर्ट को समझ क्या रखा है। कुछ तो गंभीरता दिखाइए।

ध्यान रहे कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने गर्मी की छुट्टी को देखते हुए वेकेशन बेंच का गठन किया था। इसके पीछे की सोच थी कि अवकाश के दौरान लोगों को किसी तरह की दिक्कत ने हो इसके लिए वेकेशन बेंच काम करेगी। वेकेशन बेंच में वो ही केस लगाए जाते हैं जो बेहद जरूरी होते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में 22 मई से दो जुलाई तक है ग्रीष्म अवकाश

शीर्ष अदालत में 22 मई से दो जुलाई तक ग्रीष्मावकाश है। केवल वेकेशन बेंच आवश्यक मामलों पर सुनवाई कर रही हैं। इस तरह की बेंच हाइब्रिड मोड में सुनवाई कर रही हैं, ताकि वकील कहीं से भी पेश हो सकें। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि ये बेंच नए मामलों की भी सुनवाई करेगी।