इसका कारण है परिवारवाद। इस कड़ी में अनंत सिंह का नाम भी जुड़ गया है। उन्हें अदालत से सजा हो चुकी है। इसी वजह से बिहार विधानसभा की इनकी सदस्यता चली गई और मोकामा सीट पर उपचुनाव हो रहा है। बाहुबली माने जाने वाले अनंत सिंह की पत्‍नी नीलम देवी को महागठबंधन ने चुनाव मैदान में उतारा है।

ऐसा नहीं है कि यह पहली दफा हुआ है। फुलपरास विधानसभा सीट से विधायक देवनाथ यादव को अयोग्य घोषित किया गया तो उनकी पत्नी गुलजार देवी यहां से निर्वाचित हुई। चर्चित चारा घोटाले में जगदीश शर्मा दोषी ठहराए गए। वे उस समय जहानाबाद के सांसद थे। उन्‍हें संसद की सदस्यता से वंचित होना पड़ा तो उनकी राजनीतिक विरासत संभालने के लिए इनके बेटे राहुल शर्मा सामने आ गए और घोषी विधानसभा क्षेत्र से विधायक बन सदन पहुंचे।

नवादा के राजद विधायक राजबल्लभ यादव को एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार का दोषी अदालत ने ठहराया। इसके बाद उन्हें उम्रकैद की सजा हुई और अयोग्य करार दिया गया। इनकी जगह उनकी पत्नी विभा देवी को टिकट दे दिया गया और वे नवादा की विधायक बनीं। इनके भतीजे अशोक यादव स्थानीय निकाय से विधान पार्षद हैं।

बलिया के सांसद रहे सूरज भान सिंह एक हत्या के मामले में दोषी पाए गए तो इन्हें अयोग्य घोषित किया गया। उन्होंने अपनी पत्नी वीणा देवी को राजनीति के मैदान में उतारा। 2014 लोकसभा चुनाव में लोजपा के टिकट से लड़कर मुंगेर की सांसद निर्वाचित हुईं। सुरज भान के भाई चंदन सिंह नवादा से सांसद बने।

पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह को अदालत से सजा होने पर उनके बेटे रणधीर सिंह राजनीति में सक्रिय हुए और छपरा विधानसभा सीट से विधायक बन सदन पहुंचे। परिहार विधामसभा सीट से विधायक रामनरेश यादव को अदालत से सजा होने पर उनकी पत्नी गायत्री देवी चुनाव लड़ीं और विधायक बनीं।

गोपालगंज के डीएम कृष्णय्या की हत्या के अभियुक्‍त उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व सांसद आनंद मोहन की राजनीतिक विरासत उनकी पत्नी लवली आनंद और उनके बेटे चेतन आनंद बढ़ा रहे हैं। लवली आनंद सांसद रह चुकी हैं। और इनके पुत्र फिलहाल शिवहर से राजद के विधायक हैं।

बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन ने अपनी पत्नी हिना साहिब को राजनीति के अखाड़े में उतारा था। मगर वह पराजित हो गईं। दरौंधा की विधायक जगमातो देवी थीं। इनके निधन के बाद इनके बाहुबली बेटे अजय सिंह को टिकट नहीं मिला। उस वक्त उनकी शादी भी नहीं हुई थी और पितृपक्ष चल रहा था। बावजूद उनकी शादी आनन फानन में कविता सिंह के साथ कराई गई। 2011 के उपचुनाव में जदयू की ओर से कव‍िता को टिकट द‍िया गया। वह जीतीं। फ‍िर कविता को सीवान से जदयू ने चुनाव लड़वाया और हिना साहिब को पराजित कर वह विधानसभा पहुंची।

इस कड़ी में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की चर्चा न करना बेईमानी होगी। इनको चारा घोटाले में सजा होने के बाद अयोग्य करार दिया गया। मुख्यमंत्री की कुर्सी उन्होंने अपनी पत्‍नी राबड़ी देवी को सौंपी थी। उस वक्त यह बात काफी चर्चा का विषय था। इसके बाद अपनी बेटी मीसा को राजनीति में उतारा और राज्यसभा का सदस्य बनाया। दोनों बेटे तेज प्रताप और तेजस्वी यादव तो सबके सामने मिसाल हैं। तेज प्रताप और तेजस्वी दो दफा से लगातार बिहार विधानसभा का चुनाव जीत कर सदस्य बने हैं और आजकल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की कैबिनेट के मंत्री हैं। वैसे यह रोग ब‍िहार ही नहीं, पूरे देश में फैला है। यूपी का मुलायम पर‍िवार, हर‍ियाणा का चौटाला पर‍िवार, पंजाब का बादल पर‍िवार…महज कुछ नाम हैं। हर जगह की यही कहानी है।