कविता जोशी

बीते दिनों शांतिनिकेतन और होयसला के मंदिरों के समूह को संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन ( यूनेस्को) ने अपने विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने की घोषणा की है। लेकिन अब जल्द ही इस सूची में देश के पूर्वोत्तरी राज्य असम में मौजूद एक अन्य महत्वपूर्ण प्राचीन-ऐतिहासिक स्थल ‘मोईदाम’ भी शामिल हो सकता है।

भारत ने इसके लिए अपना नामांकन दस्तावेज (नोमिनेशन डोसियर) मौजूदा वर्ष की शुरुआत में ही युनेस्को की अंतरराष्ट्रीय स्मारक और स्थल परिषद (आइसीओएमओएस) के पास मंजूरी के लिए भेज दिया है। केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के सूत्रों ने बताया कि मोईदाम असम के डिब्रूगढ़ में चराईदेव जिले में टीलानूमा जगह है।

मूलरूप से इसे मध्यकालीन भारत के आहोम साम्राज्य की अंतेष्टि प्रणाली (माउंट बरियल सिस्टम आफ आहोम डायनेस्टी) के रूप में जाना जाता है। भारत में आहोम साम्राज्य का शासनकाल बारहवीं से लेकर अठारहवीं शताब्दी तक करीब छह सौ वर्षाें तक रहा है।

पीएमओ के निर्देश पर होती कार्रवाई : सूत्रों ने बताया कि भारत में प्रधानमंत्री कार्यालय द्वारा संस्कृति मंत्रालय और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को मोईदाम को देश की तरफ से युनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल करने की प्रक्रिया की शुरुआत करने का निर्देश दिया गया था।

इसके बाद ही नामांकन दस्तावेज सौंपा गया और अब अगले अक्तूबर महीने में परिषद द्वारा चुने गए एक अंतरराष्ट्रीय पुरातत्वविद मोईदाम स्थल का व्यक्तिगत रूप से दौरा करेंगे। इसमें वह मुख्य रूप से इस स्थल और उससे जुड़े हुए उन तमाम साक्ष्यों और दावों की पड़ताल करेंगे। जिनका उल्लेख भारत द्वारा अपने नामांकन दस्तावेज में किया गया है।

इसके बाद यह अपनी एक व्यापक रपट आईसीओएमओएस को सौंपेंगे। रपट का विश्लेषण करने के दौरान परिषद अगर चाहे तो भारत से मोईदाम को लेकर कुछ और स्पष्टीकरण देने की मांग कर सकती है। लेकिन अगर वह पुरातत्वविद की रपट से ही संतुष्ट हो जाती है। तब मोईदाम को अगले वर्ष सितंबर तक युनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थलों की सूची में शामिल किए जाने की घोषणा की सकती है।