फैक्ट-चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर ने जमानत के लिए गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने खुद पर जान का खतरा बताते हुए रिहा किए जाने की मांग की है। इससे पहले दो जुलाई को उनकी जमानत याचिका को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी। 2018 के एक ट्वीट को लेकर मोहम्मद जुबैर को हाल ही में दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया था। उनकी गिरफ्तारी पर कई संगठनों और राजनीतिक दलों के नेताओं ने नाराजगी जताई थी और इसे “नफरत की राजनीति” कही थी।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस इंदिरा बनर्जी और जस्टिस जेके माहेश्वरी की पीठ उनकी जमानत याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करेगी। याचिका में मोहम्मद जुबेर ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए अपने जीवन को खतरे में बताया है। मोहम्मद जुबैर के वकील कोलिन गोंजाल्विस ने कहा कि इस पर तुरंत सुनवाई करने की जरूरत है। कहा कि उनको लगातार मौत की धमकियां मिल रही है। ऐसे में उनकी सुरक्षा के लिए यह जरूरी हो गया है कि इस मामले पर जल्द ही कोई निर्णय लिया जाए।

दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट ने सोमवार (27 जून, 2022) को जुबैर को गिरफ्तार किया था। दिल्ली पुलिस ने एक व्यक्ति की शिकायत के आधार पर पहले प्राथमिकी दर्ज की फिर जुबैर को गिरफ्तार किया। शख्स ने सोशल मीडिया पर दिल्ली पुलिस को टैग करते हुए आरोप लगाया था कि जुबैर ने उसकी भावनाओं को चोट पहुंचाई है।

उसने अपनी शिकायत में कहा था कि जुबैर के खिलाफ धार्मिक भावनाओं को भड़काने के आरोप में कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए। इस महीने की शुरुआत में उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 153-ए (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295-ए (दुर्भावनापूर्ण कृत्य, धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाना) के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

उनकी गिरफ्तारी पर रोष जताते हुए फिल्म मेकर और पत्रकार विनोद कापड़ी ने ट्वीट कर लिखा था कि “नफरत का कारोबार करने वाले और नरसंहार की अपील करने वाले बजरंग मुनि, नरसिंहानंद, आनंद स्वरूप बाहर हैं और इन नफरतों को रिपोर्ट करने वाला मोहम्मद जुबैर जेल में हैं और उसे दिल्ली से सीतापुर तक प्रताड़ित किया जा रहा है, क्या देश बन गया है ये? संविधान-क़ानून खुलेआम रौंदा जा रहा है।”