ज्ञानवापी मस्जिद विवाद के बीच आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक बयान दे दिया, जिसकी चर्चा हर तरफ हो रही है। दरअसल मोहन भागवत ने कहा कि हम हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखें? हमलावरों के जरिए इस्लाम बाहर से आया था और ज्ञानवापी मुद्दे पर हम इतिहास को नहीं बदल सकते। वहीं मोहन भागवत के बयान का स्वागत कुछ मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भी किया है।

मोहन भागवत के बयान पर समाचार चैनल न्यूज़ 24 पर बहस चल रही थी और हिन्दू-मुस्लिम धर्मगुरुओं और राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं ने भी बहस में हिस्सा लिया। बहस के दौरान इस्लामिक स्कॉलर शोएब जमई भी मौजूद थे और उन्होंने कौवे-कबूतर का किस्सा सुनाते हुए कहा, “मेरे घर पर एक कौवा रोज बैठता है और एक रोज आटे की बोरी कौवे पर गिर गई, तो उसका रंग सादा हो गया और वो समझने लगा कि मैं कबूतर हो गया। लोगों ने खूब उसकी तारीफ की, वो चहकने लगा और शाम को बारिश हुई, तो सारा रंग झड़ गया और कौवा फिर से काला हो गया।”

शोएब जमई ने आगे कहा, “मैं सिर्फ इतना कहना चाहता हूं कि भागवत जी अगर गंभीर हैं कि मुल्क में तनाव खत्म होना चाहिए तो उनको गंभीर होकर इसपर कार्रवाई करने की जरुरत है। दों बाते हैं, या तो मोहन भागवत जी जानते हैं कि जो मैं कह रहा हूं वो अमल नहीं करूँगा, वो सिर्फ इमेज प्रोजेक्शन के लिए, अपने इमेज मेकओवर के लिए एक ऐसा बयान देते हैं जिससे उनकी तारीफ हो और लोग आरएसएस के बारे में अच्छा सोचें। या तो उनकी आरएसएस में हालत ऐसी हो गई है जैसे कभी वीएचपी के अन्दर प्रवीण तोगड़िया की हो गई थी।”

शोएब जमई ने कहा, “इंडोनेशिया में कई सारे मंदिर हैं लेकिन एक ऐसी घटना बता दीजिए, जब कभी मुस्लिमों ने किसी मंदिर पर हमला किया हो या फिर जाकर ये क्लेम किया कि हम मेजोरिटी में हैं तो इस मंदिर को हटा दो और यहां मस्जिद बनेगी? मोहन भागवत जी बहुत बड़े पद पर बैठे हैं और उनको पता है कि सरकार के अन्दर क्या चीजे चल रही हैं और हिन्दू संगठनों में क्या चल रहा है।”

मोहन भागवत के बयान का मुस्लिम धर्मगुरुओं ने स्वागत किया है। देवबंद के मौलवी मुफ्ती असद कासमी ने कहा है कि भागवत जी ने जो कहा, वह सराहनीय है। उनका बयान ऐसे समय में आया है, जब नफरत का माहौल देश में तेजी से फैल रहा है।