दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद जुबैर को जमानत दे दी। उनके खिलाफ 2018 में किए गए ट्वीट के माध्यम से धार्मिक भावनाओं को आहत करने और दुश्मनी को बढ़ावा देने के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया था। इसी मामले में उन्हें कोर्ट ने जमानत दी है। 50 हजार रुपए के बेल बॉन्ड पर जमानत दी गई है और आदेश में यह भी कहा गया है कि न्यायालय की अनुमति के बिना वह देश नहीं छोड़ सकते।

हालांकि जुबैर अभी भी जेल से रिहा नहीं हो पाएंगे क्योंकि उनके खिलाफ अन्य मुक़दमे भी दर्ज हैं। जुबैर पर कुल 7 एफआईआर दर्ज हैं जिनमे 6 उत्तर प्रदेश में और 1 मुकदमा दिल्ली में दर्ज है। जबतक सभी मामलों की एक साथ कल्ब होकर सुनवाई नहीं होगी और जमानत नहीं मिलती, तब तक उनका जेल से बाहर आना मुश्किल है।

जुबैर पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153 ए (धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295 (किसी भी वर्ग के धर्म का अपमान करने के इरादे से पूजा स्थल को नुकसान पहुंचाना या अपवित्र करना) के तहत अपराध के लिए मामला दर्ज किया गया था। लेकिन इसके बाद विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 की धारा 35 और आईपीसी की धारा 201 (सबूत नष्ट करना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) की धारा भी जोड़ी गई थी।

मोहम्मद जुबैर के खिलाफ मामला हनुमान भक्त नाम के एक ट्विटर हैंडल की शिकायत पर आधारित था जिसमें आरोप लगाया गया था कि जुबैर ने एक हिंदू भगवान का जानबूझकर अपमान करने के इरादे से एक संदिग्ध तस्वीर ट्वीट की थी। उनके वकीलों ने कहा है कि ट्वीट की गई तस्वीर 1983 की फिल्म “किसी से ना कहना” का स्क्रीनशॉट है।

उत्तर प्रदेश पुलिस ने जुबैर पर भी छह अलग-अलग मुकदमें दर्ज किए हैं। उनके खिलाफ धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामला सीतापुर पुलिस ने दर्ज किया था जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 8 जुलाई को अंतरिम जमानत दी थी। लेकिन बाद में यूपी के लखीमपुर खीरी जिले में दर्ज एक अन्य प्राथमिकी में उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था।