Supreme Court Verdict On Waqf Law: वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में दो दिन की सुनवाई हो चुकी है। सर्वोच्च अदालत ने भारत सरकार को सात दिनों का वक्त दिया है, इस समय सीमा में जरूरी जवाब दाखिल करने हैं। बड़ी बात यह है कि सुनवाई के दौरान केंद्र ने खुद सामने से स्पष्ट कर दिया था कि जब तक सुनवाई पूरी नहीं हो जाएगी, वक्फ कानून के दो अहम पहलुओं को लागू नहीं किया जाएगा। अब बड़ी बात यह है कि केंद्र ने पहले ही अनुमान लगा लिया था कि कोर्ट इस ओर इशारा कर सकता है, ऐसे में खुद ही उस दिशा में कदम उठा सरकार ने अपने आप को सुरक्षित किया।
वक्फ कानून पर सरकार की ‘कोर्ट नीति’
असल में वक्फ कानून को लेकर जब 16 अप्रैल को सुनवाई हुई थी, तब सीजेआई ने ऐसा इशारा किया था कि वे कम से कम तीन पहुलओं पर जरूर कुछ समय के लिए स्टे लगा सकते हैं। लेकिन तब केंद्र की तरफ से पेश हुए तुषार मेहता ने अदालत ने अतिरिक्त समय मांगा, यहां तक कहा कि कोर्ट को कम से कम दो और वकीलों के पक्ष को सुनना चाहिए। तुषार मेहता की इस बात को तब कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद जब अगले दिन सुनवाई हुई, तुषार मेहता ने सुनवाई को आगे टालने की बात कर दी।
उनकी तरफ से कहा गया कि केंद्र को जवाब दायर करने के लिए समय चाहिए। बड़ी बात यह रही कि तुषार मेहता ने केंद्र की तरफ से खुद ही साफ कर दिया कि सरकार अभी वक्फ बोर्ड में किसी गैर मुस्लिम को शामिल नहीं करेगी। इसके बाद ही कोर्ट ने भी सात दिनों का वक्त केंद्र को दे दिया। अब समझने वाली बात यह है कि सरकार ने जब खुद ही अपने स्टैंड में थोड़ा बदलाव किया, तो मैसेज यह नहीं गया कि कोर्ट से झटका लगा बल्कि यह गया कि सरकार ने खुद यह फैसला लिया है।
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सेडिशन सुनवाई के दौरान सरकार ने क्या किया?
सरकार की यह वो नीति है जो पहले भी दिख चुकी है, बात चाहे अनुच्छेद 370 की हो, देशद्रोह की धाराओं को लेकर सुनवाई रही हो। ऐसा देखा गया है कि सरकार पहले ही भाप लेती है कि कोर्ट किस दिशा में फैसला दे सकती है, फिर उसी हिसाब से अदालत में पक्ष रखा जाता है। यहां पर मई 11, 2022 का जिक्र होना जरूरी है जब सुप्रीम कोर्ट में सेडिशन पर सुनवाई हुई थी, कोर्ट इसे अंसवैधानिक मान रहा था, सरकार को भी भनक थी कि इसे हटाया जा सकता है। अगर ऐसा होता तो विपक्ष आसानी से इसे सरकार की हार बता देता।
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370 के दौरान भी हुआ था बड़ा खेल
लेकिन तब कोर्ट में केंद्र ने अपना ही स्टैंड बदला और कह दिया कि वो खुद सेडिशन को रीएग्जामिन करने वाले हैं। इस वजह से सरकार की किरकिरी होते-होते बच गई। इसी तरह सितंबर 2023 को जब अनुच्छेद 370 को लेकर सुनवाई हुई थी, तब मंथन इस बात पर था कि क्या संसद किसी राज्य से उसका दर्जा छीन सकता है। अब यहां भी सरकार ने सुरक्षित खेलते हुए खुद कह दिया कि वो जम्मू-कश्मीर को उसका राज्य का दर्जा देने वाले हैं। ऐसे में कोर्ट को ज्यादा कुछ बोलने की जरूरत नहीं पड़ी। वैसे एक तरफ सरकार की अपनी नीति चल रही है, यूपी में भी सीएम योगी का एक्शन देखने को मिल रहा है। वक्फ सुनवाई के बीच यूपी में कुछ बड़ा हुआ है, जानने के लिए तुरंत इस खबर का रुख करें