शिवसेना ने मंगलवार को एयर इंडिया को बेचने के सरकार के कदम की आलोचना की है। शिवसेना ने मोदी सरकार पर एयर इंडिया के संचालन में फेल रहने का आरोप लगाया है। शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में एक लेख लिखकर केन्द्र सरकार के इस फैसले की आलोचना की है।
लेख में लिखा गया है कि केन्द्र की मोदी सरकार ने बीते साल एयर इंडिया में 76 फीसदी हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की थी, लेकिन खरीददार नहीं मिल पाने के चलते सरकार इसमें सफल नहीं हो सकी। अब एक बार फिर सरकार इन कोशिशों में जुटी है और इस बार सरकार 76 फीसदी नहीं बल्कि एयर इंडिया की शत-प्रतिशत हिस्सेदारी बेचना चाहती है।
शिवसेना का कहना है कि एक समय एयर इंडिया देश का अभिमान थी, लेकिन बीते दो-तीन दशकों में परिस्थिति बगड़ती गई। आज एयर इंडिया पर करीब 70-80 करोड़ रुपए का कर्ज है। देश की सबसे बड़ी विमानन कंपनी बीते 15-20 सालों से उतार पर है। एयर इंडिया की बाजार हिस्सेदारी भी घटकर अब 46 प्रतिशत के आसपास बची है।
शिवसेना ने अपने मुखपत्र में सवाल उठाया कि जब कड़ी चुनौती और प्रतिस्पर्धा के बावजूद निजी कंपनियां काम कर रही हैं तो फिर एयर इंडिया जैसी सरकारी कंपनी क्यों नहीं चल सकती?
लेख के अनुसार, “एक तरफ सरकार साल 2025 तक अर्थव्यवस्था को 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचाने का वादा कर रही है, दूसरी तरफ सरकार कर्जदार कंपनियों को बेचकर दांत कुरेदकर पेट भरने का प्रयास कर रही है।”
शिवसेना ने बताया कि वंचित बहुजन अघाड़ी के नेता प्रकाश अंबेडकर ने अपने एक बयान में कहा है कि “ये सरकार शराबी की तरह है, जैसे शराबी व्यक्ति को शराब नहीं मिलती तो वह घर के सामान बेचने लगता है। उसी तरह ये सरकार सोने का अंडा देने वाली बड़ी सरकारी कंपनियों को बेचने निकली है।”
शिवसेना ने सरकार को लगभग चेतावनी देते हुए कहा कि एयर इंडिया के निजीकरण के चलते कंपनी के कर्मचारियों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। लेख के अनुसार, सभी जानते हैं कि जेट एयरवेज के साथ क्या हुआ और ऐसी स्थिति एयर इंडिया के साथ नहीं आनी चाहिए। सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि लोग स्टाफ के लोग बेरोजगार ना हों। लेख में कहा गया है कि एयर इंडिया के बिकने के बाद भी यह हमेशा गर्व रहेगा और इसे हमेशा याद किया जाएगा।