उच्चतम न्यायालय ने बुधवार (26 सितंबर) को केन्द्र सरकार की महत्वाकांक्षी आधार योजना को संतुलित बताते हुये इसकी संवैधानिक वैधता बरकरार रखी लेकिन बैंक खातों, मोबाइल कनेक्शन और स्कूल में बच्चों के प्रवेश आदि के लिये इसकी अनिवार्यता संबंधी प्रावधान निरस्त कर दिया। इसका दायरा सीमित कर दिया। लेकिन केंद्र सरकार अब आधार एक्ट में संशोधन करने की तैयारी में है। साथ ही मोबाइल कंपनियों और बैंकों को इस संशोधन के बाद आधार नंबर लेने की इजाजत दी जा सकती है ताकि ग्राहकों की पहचान और काम तेजी से हो सके।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा फैसले के कुछ घंटे बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि उन्होंने पूरा फैसला नहीं पढ़ा पर इस बारे में उनकी यह समझ है कि उच्चतम न्यायालय ने कानूनी आधार के अभाव में 12 अंकों वाली विशिष्ट पहचान संख्या के मोबाइल फोन कंपनियों जैसी निजी इकाइयों के उपयोग पर रोक लगायी है। उन्होंने कहा, ‘‘आधार कानून की धारा 57 (जिसे उच्चतम न्यायालय ने इसे अवैध करार दिया) कहता है कि विशेष अधिकार के तहत अन्य इकाइयों को आधार के उपयोग की अनुमति दी जा सकती है। मैं आपको फैसले के बारे में अपनी सूचना दे सकता हूं। जब तक इसे कानून से समर्थन नहीं मिलता है, यह स्वीकार्य नहीं है। फैसले की भावना यही लगती है।’’

मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने कहा कि आधार संवैधानिक रूप से वैध है। हालांकि पीठ ने बैंक खातों को आधार से जोड़ने, मोबाइल फोन कनेक्शन तथा स्कूल में दाखिले के लिये विशिष्ट पहचान संख्या की अनिवार्यता खत्म कर दी है। उच्चतम न्यायालय के निर्णय में आयकर रिटर्न तथा स्थायी खाता संख्या (पैन) से आधार जोड़ने के प्रावधान को बरकरार रखा है। फैसले के बाद आधार को बैंक खातों तथा मोबाइल फोन से जोड़ने की आवश्यकता के बारे में पूछे जाने पर जेटली ने कहा यह फैसले को बिना पढ़े पूछा गया प्रश्न है।

उन्होंने कहा, ‘‘पहले फैसले को पढ़ने दीजिए। दो-तीन क्षेत्र प्रतिबंधित हैं। क्या वे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित हैं या उन्हें इसलिए कि उन्हें कानूनी समर्थन की जरूरत है। इसीलिए मैं सामान्य रूप से यही कहूंगा कि इन निजी इकाइयों के मामले में कानूनी समर्थन की जरूरत है। यह मेरी समझ है। मैंने अभी विस्तार से फैसले को नहीं देखा है। यह फैसला कानून द्वारा लिया गया है। इसका अनुसरण किया जाएगा। यदि कहीं नियम-कानून बनाने या संशोधन करने की जरूरत महसूस होगी तो सरकार के पास विकल्प है। ’’

वहीं, उनके सहयोगी और कानून तथा विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा कि, ” सीबीएसई (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) और अन्य शैक्षिक संस्थानों को लेकर मानव संसाधन मंत्रालय, बैंकों को लेकर वित्त मंत्रालय और मोबाइल कंपनियों को लेकर दूरसंचार मंत्रालय के बीच परस्पर बातचीत होगा। संभव है कि व्यापक परामर्श के बाद यदि कुछ सुधारात्मक उपाय की जरूरत होगी तो सरकार कदम उठाएगी।”

अदालत ने यह कहा है कि सभी नागरिकों को आधार देना कानूनी रूप से सही है और इससे निगरानी संभव नहीं है।” भारत की विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के सीईओ अजय भूषण पांडे ने कहा कि, “यह निर्णय आधार के लिए एक जीत थी। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा आधार पर आधार आंकड़ों के सार्वजनिकरण को अस्वीकार करते हुए कानून के समर्थन के बिना निजी कंपनियों द्वारा इसका उपयोग छोड़कर और अवैध आप्रवासियों को यूआईडी नंबर प्राप्त करने से मना कर दिया गया। इससे आधार और अधिक मजबूत हुआ है।” वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आधार पर उच्चतम न्यायालय के फैसले को ‘ऐतिहासिक’ करार देते हुए बुधवार को कहा कि सरकारी योजनाओं को वास्तविक लाभार्थियों तक पहुंचाने से सरकार को सालाना 90,000 करोड़ रुपये की बचत हुई है। उन्होंने कहा कि न्यायालय के फैसले के बाद कांग्रेस को मुंह छिपाना पड़ रहा है। (एजेंसी इनपुट के साथ)