बीजेपी नेता स्मृति ईरानी को मानव संसाधन विकास मंत्री के पद से मंगलवार (5 जुलाई) को हटा दिया गया है। इसके बदले में उन्हें कपड़ा मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है। स्मृति ईरानी को क्यों हटाया गया ? इस बात की जानकारी साफ तौर पर किसी को नहीं है, पर कुछ बातें हैं जिससे अंदाजा लगाया जा रहा है कि इन मतभेदों के चलते ही ईरानी को हटाया गया है। इनमें से तीन प्रमुख हैं-
1. HRD मिनिस्ट्री ने ग्लोबल मानकों पर खरे उतरने वाले 20 इंस्टीट्यूट खोलने के बारे में सोचा था। इस मुद्दे पर पीएमओ इंडिया और HRD मिनिस्ट्री के बीच 13 प्रोविजन को लेकर मतभेद चल रहा था। वर्ल्ड क्लास यूनिवर्सिटी का यह प्रोजेक्ट शिक्षा के क्षेत्र में इस साल का सबसे बड़ा प्रोजेक्ट था।
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2. पीएमओ इंडिया और HRD मिनिस्टरी में IIM बिल को लेकर भी मतभेद रहा। इस मामले में दो प्रोविजन ऐसे हैं जिनपर पीएमओ राजी नहीं है और स्मृति ईरानी भी नरम पड़ने को तैयार नहीं थीं।
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3. केंद्रीय संस्थानों में जर्मन भाषा को हटाकर संस्कृत को लाने की वजह से भी स्मृति ईरानी के मंत्रालय को काफी कुछ सुनना पड़ा। इसकी वजह से IIT के पूर्व डायरेक्टर RK शिवगांवकर और IIT बॉम्बे के चेयरमैन अनिल ककोड़कर ने इस्तीफा भी दे दिया था।
इसके अलावा विपक्ष हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्र रोहित वेमुला की सुसाइड पर स्मृति ईरानी को घेरता ही रहा है। साथ ही अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी को अल्पसंख्यक यूनिवर्सिटी ना बनाए रखने के लिए स्मृति ईरानी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट को लिखा भी गया है। HRD मिनिस्ट्री की तरफ से कहा गया था कि संविधान में ऐसे किसी संस्थान को चलाने की परमिशन नहीं है।
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इनमें से कुछ मुद्दों को सुलझाने के लिए पीएम के प्रमुख सचिव निरेंद्र मिश्रा ने उच्च शिक्षा सचिव वीएस ओबेरॉय से मीटिंग भी की थी, पर कुछ समाधान नहीं निकला।