विजय गोयल और एसएस आहलुवालिया को मोदी सरकार में मंत्री बनाए जाने को दोनों नेताओं की किस्मत फिरने के तौर पर देखा जा रहा है। कुछ समय पहले तक दोनों को पार्टी के शीर्ष नेताओं का पसंदीदा नहीं माना जाता था। भाजपा में मोदी और अमित शाह जितनी तेजी से शीर्ष स्तर पर पहुंचे उतनी ही तेजी से पार्टी में गोयल का ग्राफ नीचे गिरा। उन्हें दिल्ली प्रदेश इकाई प्रमुख पद से हटा दिया गया था। राष्ट्रीय राजधानी में पिछले दो विधानसभा चुनावों में बहुत कम जिम्मेदारी उन्हें सौंपी गई थी। हालांकि दिल्ली से अवसर न होने के कारण उन्हें राजस्थान से राज्यसभा भेजा गया।
गोयल की दृढ़ता और पार्टी व सरकार के एजंडे को मुखरता से बयां करने की उनकी कोशिशों ने उनकी वापसी की है। यों वे पहले भी अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली प्रथम राजग सरकार में मंत्री थे। भाजपा में कइयों का मानना है कि मीडिया से संपर्क में रहने वाले गोयल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के केंद्र सरकार पर हमले का जवाब देने में कारगर हो सकते हैं। दिल्ली ने भाजपा को सातों सीटों पर जीत दिलाई थी। पर यहां से मोदी सरकार में हर्षवर्धन अकेले कैबिनेट मंत्री हैं। लेकिन उन्हें न केवल महत्वहीन विभाग दे रखा है, बल्कि पार्टी में भी अब वे हाशिए पर हैं।
यह भी विचित्र संयोग है कि अरुण जेटली की तरह विजय गोयल का भी राजनीतिक क्षेत्र तो दिल्ली ही है। पर दोनों राज्यसभा में बाहरी राज्यों से हैं। इस नाते भाजपा कह सकती है कि अब केंद्र में दिल्ली के तीन मंत्री हैं। जेटली ने लोकसभा चुनाव अमृतसर से लड़ा था और मोदी की आंधी के बावजूद वे कैप्टन अमरिंदर सिंह से मात खा गए थे। जबकि विजय गोयल को पार्टी ने टिकट ही नहीं दिया था।
वहीं आहलूवालिया (65) भाजपा में शामिल होने से पहले नरसिम्हा राव नीत कांग्रेस सरकार में मंत्री थे। उन्हें पार्टी नेता सुषमा स्वराज का करीबी माना जाता है। 2012 में जब पार्टी की कमान नितिन गडकरी के पास थी तब उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद उन्हें दोबारा राज्यसभा के लिए नामित नहीं किया गया। बाद में जसवंत सिंह के स्थान पर दार्जीलिंग से 2014 में लोकसभा का टिकट दे दिया गया।
वैसे उन्हें एक प्रभावी सांसद के तौर पर देखा जाता है। आहलुवालिया एक मुखर नेता हैं, जो एक समान सहजता से कुछ क्षेत्रीय भाषाएं, हिंदी और अंग्रेजी भाषा में बोलते हैं। वे संसदीय कार्यवाही की समझ रखते हैं। मंत्री रहने का अनुभव होना उनके लिए सकारात्मक रहा।