महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के कार्यकर्ताओं का हंगामा समाप्त होने का नाम ही नहीं ले रहा है। बीते कुछ दिनों पहले तक जहां वो भाषा के नाम पर लोगों से मारपीट कर रहे थे वहीं अब उन पर आरोप है कि पुणे म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन (पीएमसी) के नगर आयुक्त के ऑफिस में घुसकर उन्होंने हंगामा किया है। इस मामले को लेकर पुणे नगर निगम ने मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया है। दरअसल बीते बुधवार को पुणे नगर निगम के नवनियुक्त नवल किशोर राम के ऑफिस में उस समय हंगामा हुआ जब वो निगम प्रमुख के ऑफिसियल बंगले से कथित तौर पर गायब हुए सामानों की जांच की मांग को लेकर एक मीटिंग कर रहे थे। आरोप है कि इसी दौरान मनसे कार्यकर्ता हंगामा करने लगे।

हालांकि नवनियुक्त नगर आयुक्त राम अभी आधिकारिक सरकारी बंगले में अभी शिफ्ट नहीं हुए हैं। इस बंगले में उनसे पहले के नगर आयुक्त राजेंद्र भोसले रहते थे, वहीं बंगले से टीवी, एसी समेत कई सामान के कथित तौर पर गायब होने के मामले पर नगर निगम के अधिकारी कुछ बोल नहीं रहे हैं।

50 से ज्यादा अधिकारियों के साथ चल रही थी मीटिंग

इस घटना को लेकर पुणे पुलिस के एक सीनियर अधिकारी ने कहा, ‘हम बीएनएस की धारा 132 के तहत मामला दर्ज करने की प्रक्रिया में हैं, जो सरकारी कर्मचारी को उसके काम में बाधा बनने और और सरकारी कार्य करने से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल के प्रयोग से संबंधित है। यह मामला शिवाजी नगर पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जा रहा है।’

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मनसे कार्यकर्ताओं के हंगामा करने को लेकर नगर नियुक्त राम ने कहा , ‘मैं 50 से ज्यादा अधिकारियों के साथ मीटिंग कर रहा था, तभी मनसे कार्यकर्ता मीटिंग हॉल में घुस आए। वे मीटिंग खत्म होने तक बाहर इंतजार कर सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और इसके बजाय उन्होंने बदसलूकी की। नगर आयुक्त के साथ ऐसा व्यवहार अनुचित है। पीएमसी मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज कराएगी।’

ज्ञापन देने पहुंचे थे मनसे कार्यकर्ता

मनसे कार्यकर्ता किशोर शिंदे के नेतृत्व में नगर आयुक्त ऑफिस पहुंचे थे। वो सभी गायब सामानों के बारे में एक ज्ञापन देने के लिए नगर आयुक्त राम के ऑफिस पहुंचे जहां वो पहले से मीटिंग कर रहे थे। ऐसे में कुछ देर इंतजार करने की बजाय सभी मीटिंग रूम में घुस गए। मनसे कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि नगर आयुक्त ने उन्हें गुंडे कहा जो अपने व्यवहार से मराठी संस्कृति को बदनाम कर रहे हैं। शिंदे ने कहा, ‘हम उन वस्तुओं की जांच की मांग करने आए थे जो कथित तौर पर बंगले से गायब हो गई हैं। यह पुणे नगर निगम के हित में है, हमारे हित में नहीं, लेकिन नगर आयुक्त ने हमारे साथ अभद्र व्यवहार किया।’

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इससे पहले नगर आयुक्त राम ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि बंगले में कौन-कौन सा सामान मौजूद था। कथित तौर पर गायब हुई चीजों के लिए पूर्व नगर आयुक्त को बदनाम करना गलत है। मैंने इसकी जांच की मांग की है। बंगले के रखरखाव के लिए जिम्मेदार संबंधित नगर निगम विभाग की जिम्मेदारी है कि वह सुनिश्चित करें कि बंगले के अंदर क्या लाया जाए और क्या बाहर निकाला जाए।’