केरल के कन्नूर में चेंगलई गांव के मनरेगा मजदूर बारिश के पानी को जमा करने के लिए गड्डे खोद रहे थे तभी उन्हें एक बर्तन मिला। पहले तो उन्हें लगा कि इसमें कोई देसी बम है, क्योंकि कन्नूर में ऐसी घटनाएं पहले हो चुकी हैं, जब किसी लावारिस सामान को खोलने पर उसमें विस्फोट हो जाता है।
मजदूरों ने बर्तन को फेंक दिया और वह टूट गया। बर्तन में किसी तरह का विस्फोट तो नहीं हुआ लेकिन कई सिक्के और सोने-चांदी के आभूषण आसपास बिखर गए। महिला मजदूरों ने पिछले सप्ताह यह जानकारी स्थानीय पंचायत अधिकारियों को दी और सबकुछ उन्हें सौंप दिया।
200 साल पहले दफनाया गया बर्तन
बुधवार को राज्य के पुरातत्व विभाग ने इसकी जांच की और कहा की जो कुछ मिला है वो काफी महत्वपूर्ण है। राज्य पुरातत्व विभाग के निदेशक ई. दिनेशन ने कहा कि बर्तन से निकला एक सिक्का 1826 में बनाया गया था ,जो दर्शाता है कि इन्हें लगभग 200 साल पहले दफनाया गया होगा। बर्तन में 13 सोने के लॉकेट, 17 कानों की बालियां, पांच अंगूठिया और सिक्कों का एक गुच्छा था, ये सभी या तो सोने के थे या चाँदी के थे।
कुछ सिक्के जिसके बारे में माना जाता है कि इन्हें वेनिस में ढाला गया था। इन्हें 1670 और 1700 के बीच ढाला गया था। उन्होंने कहा कि इन सिक्कों को एक चेन में बांधा जाता था और आभूषण के रूप में पहना जाता था।
निदेशक ने कहा कि बरामद किए गए संग्रह में फ्रांसीसी भारत के सिक्के और अरक्कल राजवंश के अली राजा (वर्तमान कन्नूर क्षेत्र के एक मुस्लिम राजा, जिन्होंने 16वीं शताब्दी से 19वीं शताब्दी तक शासन किया) द्वारा इस्तेमाल किए गए सिक्के शामिल हैं। फिलहाल पुरातत्व विभाग ने कन्नूर के उस हिस्से में अब तक कोई अध्ययन या उत्खनन नहीं किया है, जहां यह बर्तन मिले है। ऐसा माना जा रहा है यह गाँव एक नदी के पास है, इसलिए यह क्षेत्र व्यापार का स्थान रहा होगा।