निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी और किसानों, महिलाओं, मजदूरों, आदिवासी, मछुआरों, खानाबदोश और निरंकुश जनजातियों के कई स्वैच्छिक संगठनों ने घोषणा की है कि वे 10 जनवरी को अहमदाबाद में 12 स्थानों पर नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) की प्रतियां जलाएंगे। बता दें कि गुजरात सरकार ने विधानसभा में इस कानून को लागू करने का संकल्प लिया है। इन संगठनों ने राज्य में सीएए और प्रस्तावित नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजन्स (एनआरसी) और नेशनल पॉपुलेशन रजिस्टर (एनपीआर) के खिलाफ एक असहयोग आंदोलन शुरू करने का भी संकल्प लिया है। मेवानी ने कहा कि सीएए बिल के प्रतियां जलाकर होली मनाएंगे।
“वी द पीपल ऑफ इंडिया” : बता दें कि राज्य सरकार ने 10 जनवरी को गुजरात विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है जिसमें सीएए को समर्थन देने का प्रस्ताव लाया जाएगा। मेवानी ने बुधवार (8 जनवरी) को बैठक में शामिल संगठनों की ओर से मीडियाकर्मियों को संबोधित करते हुए कहा कि हम यहां सीएए कानून के विरोध में “वी द पीपल ऑफ इंडिया” के अनौपचारिक बैनर तले एक साथ आए हैं।
वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है सरकार: मेवानी ने कहा कि जब गुजरात विधानसभा में सीएए के समर्थन में प्रस्ताव पारित किया जाता है, तो हम उसकी अहमदाबाद में 12 जगहों पर प्रतियां जलाकर इसका विरोध करगें। निर्दलीय विधायक ने सीएए, एनपीआर और एनआरसी जैसी केंद्र सरकार की पहल को बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य के निजीकरण, मंहगाई और सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों की बिक्री जैसे वास्तविक मुद्दों से ध्यान हटाने के लिए सरकार ने यह रणनीति अपनाई है।
कोई भी अपना दस्तावेज नहीं दिखाएगा: मेवानी ने कहा कि समाज के विभिन्न वर्गों के लोगों – किसानों, मछुआरों, अल्पसंख्यक, दलित, आदिवासिय, युवा या महिलाओं ने असहयोग आंदोलन शुरू करने का संकल्प लिया है और फैसला किया है कि जब भी सरकार की इस योजना को लागू किया जाएगा तो इनमें से कोई भी अपना दस्तावेज नहीं दिखाएगा।
खानाबदोश और निरंकुश जनजातियों के नेता डैक्सिन छारा ने कहा कि उनके समुदाय के किसी भी सदस्य के पास 1970 से पहले का रिकॉर्ड होना असंभव है। उन्होंने कहा कि समुदायों ने स्वतंत्रता संग्राम में योगदान दिया है और उनसे दस्तावेजों की मांग करना उनका अपमान करने के समान है। उन्होंने कहा कि समुदाय के लोग वास्तव में भारत के नागरिक हैं सरकार यह मानती हो या नहीं।