मिस वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन ने 8 जून को घोषणा की कि भारत लगभग 27 के बाद बहुप्रतीक्षित 71वीं मिस वर्ल्ड 2023 (Miss World 2023) प्रतियोगिता की मेजबानी करेगा। इसकी घोषणा के लिए, मिस वर्ल्ड ऑर्गनाइजेशन की चेयरपर्सन और सीईओ जूलिया मोर्ले के साथ मौजूदा मिस वर्ल्ड करोलिना बिलावस्का (Karolina Bielawska) गुरुवार को नई दिल्ली पहुंचीं और उद्घाटन प्रेस मीट में भाग लिया।

सिनी शेट्टी करेंगी मिस वर्ल्ड 2023 में भारत का प्रतिनिधित्व

हालांकि, प्रतियोगिता की फाइनल तारीखों का ऐलान अभी नहीं किया गया है लेकिन मिस वर्ल्ड का 71वां संस्करण नवंबर 2023 में होने की उम्मीद है। फेमिना मिस इंडिया 2022 खिताब की विजेता सिनी शेट्टी मिस वर्ल्ड 2023 पेजेंट में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी। इस बीच सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा कि भारत और पाकिस्तान जैसे गरीब देशों को सौंदर्य प्रतियोगिताओं और फैशन परेडों पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए।

यह महिलाओं का अपमान- जस्टिस मार्कंडेय काटजू

जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा, “यह मुझे घृणित लगता है, मैं इसे अश्लील और हमारी महिलाओं का अपमान मानता हूं। मैं सुंदर महिलाओं के खिलाफ नहीं हूं। लेकिन तथ्यों पर गौर कीजिए।” पूर्व जज ने आगे कहा, “भारत में व्यापक गरीबी है, शायद हमारे 1400 मिलियन लोगों में से 75% गरीब हैं। भारतीय महिलाएं, खासतौर पर समाज के गरीब और मध्यम वर्ग की महिलाएं बहादुरी से अपने पति या खुद कमा रहे थोड़े से पैसों पर अपने परिवारों का भरण-पोषण कर रही हैं और वह भी गुमनाम रूप से।”

जस्टिस काटजू ने कहा, “ग्लोबल हंगर इंडेक्स में यह अनुमान लगाया गया है कि हमारे लगभग आधे बच्चे कुपोषित या कमजोर हैं। इसका मतलब है कि हमारी लगभग 70% महिलाएं कुपोषित हैं क्योंकि एक महिला अपने बच्चों को भूखा देखने के बजाय खुद भूखी रहना पसंद करेगी। अनुमान है कि 57% भारतीय महिलाएं एनीमिक हैं।”

जस्टिस काटजू बोले गरीब और मध्यम वर्ग की सामान्य महिलाओं को सच्चा नायक मानता हूं

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने कहा, “हमारे देश में खाद्य पदार्थों, दवाओं की कीमतों में अत्यधिक वृद्धि के बावजूद हमारी महिलाएं अपना परिवार चलाने के लिए अक्सर सुबह से रात तक मेहनत कर रही हैं और गुमनाम रूप से संघर्ष कर रही हैं। उनके साथ अक्सर कई तरीकों से भेदभाव किया जाता है। क्या वे हमारी प्रशंसा और सलाम के पात्र नहीं हैं?” उन्होंने कहा कि मैं गरीब और मध्यम वर्ग की सामान्य भारतीय महिलाओं को अपना सच्चा नायक मानता हूं न कि सौंदर्य प्रतियोगिताओं की विजेता को, जो आमतौर पर संपन्न परिवारों से आती हैं।

जस्टिस मार्कंडेय काटजू ने कहा, “इस कारण मैं भारत में सौंदर्य प्रतियोगिताओं, फैशन परेडों आदि को घृणित और अशोभनीय मानता हूं। ये विकसित देशों में स्वीकार्य हो सकते हैं लेकिन निश्चित रूप से भारत जैसे गरीब देशों में नहीं।”

मेरे हाथ में होता तो सभी ब्यूटी कॉन्टेस्ट पर बैन लगा देता- जस्टिस काटजू

पूर्व जज ने कहा, “वास्तव में इन सौंदर्य प्रतियोगिताओं से किसे फायदा होता है? यह निश्चित रूप से जनता नहीं है। ब्यूटी कॉन्टेस्ट आयोजकों के लिए पैसे कमाने की फैक्ट्रियों की तरह काम करते हैं। हाई-एंड फैशन लेबल और मेकअप ब्रांड को उम्मीदवारों के माध्यम से प्रचारित किया जाता है। देशी सुंदरियों की किसी को परवाह नहीं।”

जस्टिस काटजू ने आगे कहा, “जनता को इन अंतरराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादों को बेचने के लिए एक विशाल बाजार के रूप में देखा जाता है। यह एक महिला को दी गई उपाधि के बदले में होती है जो उनके आदर्शों से मेल खाती है और जीतने के बाद उनके उत्पादों को आकर्षक बनाती है। अगर मेरे हाथ में होता तो मैं ऐसे सभी ब्यूटी कॉन्टेस्ट, फैशन परेड पर बैन लगा देता।”