पिछले करीब एक महीना पहले शिक्षा मंत्रालय ने आईआईएम के अधिकारियों से एक वर्षीय एमबीए डिग्री प्रोग्राम की पेशकश करने के कार्यक्रम को बंद करने के लिए कहा। बयान में कहा गया था कि एक साल की एमबीए डिग्री यूजीसी के मानदंडों का उल्लंघन होगा। आईआईएम ने तब मामले में कोई सामूहिक बयान जारी नहीं किया था। मगर संस्थान की तरफ से मंत्रालय को पहली प्रतिक्रिया नौ अगस्त को आई, जब आईआईएम बेंगलुरु ने एक साल के एमबीए प्रोग्राम में दाखिले के लिए ट्विटर पर नोटिस जारी कर दिया।

द इंडियन एक्सप्रेस में दिल्ली कॉन्फिडेंशियल में छपे एक कॉल द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक संस्थान ने इसके साथ ही एक फुटनोट भी शेयर किया, जिसमें कहा गया कि आईआईएम कोर्स से संबंधित सरकार की चिंताओं को दूर करने के लिए काम कर रहा है। बयान में आगे कहा गया कि एमबीए प्रोग्राम की अंतिम संरचना (डिग्री या डिप्लोमा) सरकार के साथ बातचीत के परिणाम पर निर्भर करेगी।

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एक महीना पहले कानून मंत्रालय ने सभी आईआईएम निदेशकों से कहा था कि आईआईएम एक साल के कोर्स पर एमबीए की डिग्री दे रहे हैं जो यूजीसी के नियमों का सीधा उल्लंघन है। उन्हें ‘निर्देशित’ किया जाता है कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग, अधिनियम, 1956 के तहत डिग्री देने के मानदंडों के अनुसार काम करें।

UGC मानदंड में 3+2 उच्च शिक्षा प्रारूप के अनुसार केवल दो साल के पाठ्यक्रम के लिए मास्टर डिग्री की अनुमति देता है। भारत में कई पश्चिमी देशों के विपरीत एक साल के कोर्स को पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा के रूप में संदर्भित किया जाता है।

उल्लेखनीय है कि हाल में पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया। नाम बदलने का फैसला कैबिनेट की एक बैठक के बाद लिया गया।

बता दें कि हाल के दिनों में सरकार ने नई शिक्षा नीति को भी मंजूरी दी। अब पूरे उच्छ शिक्षा क्षेत्र में एक रेगुलेटरी बॉडी होगी ताकि शिक्षा के क्षेत्र में अव्यवस्था को खत्म किया जा सके। वतर्मान में रमेश पोखरियाल शिक्षा मंत्री हैं और संजय धोत्रे शिक्षा राज्य मंत्री हैं।