एक रैंक एक पेंशन (ओआरओपी) की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे पूर्व सैनिकों ने अब राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से हस्तक्षेप का आग्रह किया है। सशस्त्र सेनाओं के सुप्रीम कमांडर राष्ट्रपति को भेजे पत्र में यूनाइटेड फ्रंट आफ एक्स सर्विसमेन ने कहा कि देश के लिए कुर्बानी देने से पहले एक सिपाही से उम्मीद की जाती है कि वह दुश्मनों का सफाया करे लेकिन आपके शासन में एक सिपाही की जान दांव पर लगी है।

संगठन ने कहा कि भूख हड़ताल कर रहे चार पूर्व सैनिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है जबकि एक अन्य पूर्व सैनिक हवलदार (सेवानिवृत्त) मेजर सिंह की तबीयत तेजी से बिगड़ रही है। पत्र की प्रति प्रधानमंत्री कार्यालय, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को भी भेजी गई है।

इसमें कहा गया है कि डॉक्टरों के पैनल ने मेजर सिंह की तबीयत में गिरावट बताई है और कहा है कि यह खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। उनका जीवन बचाने के लिए तत्काल उन्हें अस्पताल ले जाने की जरूरत है जबकि मेजर सिंह ने अस्पताल जाने से इनकार कर दिया है। उन्होंने संकल्प किया है कि जब तक ओआरओपी लागू नहीं हो जाता, वे कोई चिकित्सकीय इलाज नहीं लेंगे। उन्हें हालांकि विस्तृत जांच के लिए अस्पताल भेजा गया है।

उधर, केंद्र सरकार ने कहा कि उसने प्रदर्शनकारी पूर्व सैनिकों के साथ अपने मतभेदों को ‘बहुत कम किया है’, लेकिन सरकार ने इस मुद्दे पर कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया। पूर्व सैनिकों का आंदोलन शनिवार को 76वें दिन में प्रवेश कर गया।

केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि मैं समझता हूं कि पिछले कुछ दिनों में मतभेद बहुत कम हुए हैं, ओआरओपी को लागू करने वाले सिद्धांतों के प्रति हम प्रतिबद्ध हैं पर इसे कुछ सिद्धांतों पर आधारित होना चाहिए।

उन्होंने इस तरह की मांगें करने की बढ़ती प्रवृत्ति के प्रति भी आगाह किया जिनका बोझ अर्थव्यवस्था नहीं उठा सकती। उन्होंने कहा कि पिछले सोमवार को जो कुछ हुआ वह संभवत: हर महीने होगा यदि हम सभी वित्तीय मानदंडों व राजकोषीय दूरदर्शिता को खारिज करते जाएं।

जेटली ने कहा कि लिहाजा, आपकी अर्थव्यवस्था ज्यादा अनुशासित होनी चाहिए और इसलिए विभिन्न वर्गों में उठ रही मांगों को समझना चाहिए कि जहां तक अर्थव्यवस्था भार उठा सकती है, वहीं तक सरकारें ऐसी मांगें लागू कर सकती हैं।

इस बीच एक अन्य पूर्व सैनिक हवलदार अभिलाष सिंह की तबीयत बिगड़ने के बाद अस्पताल में दाखिल कराया गया। वे क्रमिक भूख हड़ताल पर बैठे थे। सरकार ने शुक्रवार को कहा था कि उसे ओआरओपी लागू करने के लिए कुछ और समय चाहिए।
रक्षा मंत्री मनोहर पर्रीकर ने शुक्रवार को कहा कि प्रधानमंत्री ने इसे 15 अगस्त को सिद्धांतत: मंजूरी दे दी है। अब प्रधानमंत्री कार्यालय इससे सीधे तौर पर जुड़ गया है इसलिए ये कहने से कोई मदद नहीं मिलेगी कि फलां दिन में कर दीजिए। मुद्दे का हल खोजने के सभी प्रयास हो रहे हैं। पर्रीकर के इस बयान पर पूर्व सैन्यकर्मियों ने निराशा जताई थी।

ओआरओपी लागू होने से तकरीबन 22 लाख सेवानिवृत्त सैन्यकर्मी लाभान्वित होंगे। इसके तहत समान रैंक और समान सेवा अवधि से सेवानिवृत्त होने वाले सैन्यकर्मियों के लिए एक समान पेंशन की मांग की जा रही है, भले ही उनकी सेवानिवृत्ति की तारीख कुछ भी हो।