इस सैन्य में राज्य के वीर शहीदों सैनिकों के जीवन की वीरगाथा एक थिएटर के माध्यम से दिखाई जाएंगी। भारतीय सेना में दो वीर सैनिकों बाबा हरभजन सिंह और बाबा जसवंत सिंह की पूजा की जाती है।

इन दोनों वीर शहीदों के मंदिर सैन्य धाम में बनाए जाएंगे। सैनिकों के सम्मान में रात दिन अमर जवान ज्योति जलेगी जो आकर्षण का मुख्य केंद्र होगी। इस सैन्य धाम का मुख्य द्वार अमर शहीद भारतीय सेना के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत की स्मृति में उनके नाम पर बनाया जाएगा। पिछले साल दिसंबर में भारतीय सैन्य धाम का भूमि पूजन देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने किया था।

उत्तराखंड के सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ साल पहले उत्तराखंड के अपने दौरे में कहा था कि उत्तराखंड में पांच धाम हैं जिनमें एक सैन्य धाम भी है। प्रधानमंत्री की इस परिकल्पना को धरातल पर उतारने का संकल्प सरकार ने लिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सैनिक परिवार से हैं इसीलिए हम सैनिकों की भावनाओं को भली-भांति जानते हैं।

भारतीय सेना में राज्य के योगदान को धरातल पर उतारने का कार्य देहरादून में किया जा रहा है। सैन्य धाम को पूरा करने का कार्य युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के संकल्प से लगातार कार्य पूर्ण किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सैन्यधाम ने केवल प्रदेश के युवाओं को बल्कि देशभर के युवाओं को सदैव प्रेरित करता रहेगा।

करोड़ों की लागत से बनेगी सैन्य अकादमी

देहरादून के मसूरी रोड में गुनियाल गांव में 60 बीघा से ज्यादा भूमि पर 92 करोड रुपए की लागत से वीरता दिव्यता का प्रतीक देहरादून सैन्यधाम बनेगा। सैन्य धाम के आकर्षण के मुख्य केंद्र अमर जवान ज्योति की आधारशिला उत्तराखंड की वीर माताओं और वीर नारियों, भारतीय सेना के चीफ आफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, उत्तराखंड के राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह और सैनिक कल्याण मंत्री पूर्व फौजी गणेश जोशी तथा पूर्व फौजियों और सेना के कई बड़े अधिकारियों मौजूदगी में रखी गई।

अमर जवान ज्योति की आधारशिला के अवसर पर उत्तराखंड के 1734 वीर शहीदों के घरों के आंगन की पवित्र माटी तथा उत्तराखंड की पवित्र 28 नदियों का पवित्र पावन जल अमर जवान ज्योति की नींव पर प्रतिस्थापित किया गया। सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने कहा कि यह अवसर इसलिए भी गौरवपूर्ण है कि अमर जवान ज्योति की नीव में उत्तराखंड के शहीदों के आंगन की मिट्टी और उत्तराखंड की 28 नदियों का पवित्र जल समाहित किया गया है। जनरल चौहान का कहना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा में सशस्त्र सेनाओं का बहुत बड़ा योगदान रहा है। उसमें उत्तराखंड के लोगों की भागीदारी सबसे महत्त्वपूर्ण है जो उत्तराखंड को वीर सैन्य भूमि का दर्जा दिलाती है और सैन्य धाम का निर्माण वास्तव में एक ऐतिहासिक कार्य है।

भावी पीढ़ी के लिए स्तंभ

राज्यपाल सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह ने का कहना है कि सैन्य धाम आने वाली पीढ़ियों के लिए एक प्रेरणा स्तम्भ के रूप में रहेगा। उन्होंने कहा कि यह सैन्यधाम हमारी आस्था का केन्द्र ही नहीं बल्कि हमारे वीर सैनिकों के अतुलनीय योगदान को प्रदर्शित करने वाला स्मारक बनेगा। यह सैन्यधाम हमारे प्रदेश के युवाओं को सैन्य सेवाओं के लिए आकर्षित करने के लिए प्रेरणा का केंद्र बनेगा। उन्होंने कहा कि सैन्यधाम शहीदों के परिजनों और वीरांगनाओं के त्याग को मान और सम्मान प्रदान करने का पवित्र धाम है। यह सैन्यधाम उत्तराखण्ड की पहचान बनने जा रहा है।

गणेश जोशी ने कहा कि देश की रक्षा करने वाला हर पांचवां सैनिक उत्तराखंड से है। हम सभी का यह कर्तव्य बनता है कि हम ऐसे वीर योद्धाओं के परिवारों का मान एवं सम्मान कर उन शहीदों की याद को सदैव जीवित रखें। उनका कहना है कि जिस तरह से लोग उत्तराखंड के चार धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री के दर्शन करने के लिए आते हैं उसी तरह लोग सैन्य धाम के दर्शन करने भी आएंगे। सैनिकों की याद में बना यह धाम पर्यटन की दृष्टि से भी अहम होगा क्योंकि यह देहरादून मसूरी रोड की शांत एवं प्राकृतिक दृष्टि से अत्यंत सुंदर वादियों के क्षेत्र में बनाया जा रहा है।