गोवा के एक नाइट क्लब में शनिवार देर रात को लगी भीषण आग में मारे गए लोगों के घरों में स्वाभाविक रूप से मातम का माहौल है। अरपोरा के रोमियो लेन स्थित बर्च में लगी इस आग में मरने वाले अधिकतर लोग दूसरे प्रदेशों के रहने वाले थे।

गोवा अग्निकांड में मारे गए लोगों में उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के रहने वाले जितेंद्र रावत भी शामिल हैं। जितेंद्र की उम्र सिर्फ 24 साल थी। हादसे की सूचना मिलने पर गोवा मेडिकल कॉलेज पहुंचे उनके चचेरे भाई आशीष रावत ने पूछा- ‘कौन गोवा नहीं आना चाहता।’

आशीष रावत कहते हैं कि उन्होंने ऐसा सुना है कि उनके भाई और बाकी लोगों की मौत रसोई में दम घुटने से हुई। वह कहते हैं कि गोवा कोई मरने नहीं आता। जितेंद्र रावत नाइट क्लब में रसोईये के तौर पर काम करते थे।

‘क्लब मैनेजमेंट ने पटाखे फोड़े और फिर…’

इस अग्निकांड में मारे गए 25 लोगों में से 21 लोग नाइट क्लब के रेस्तरां में काम करते थे। उनकी तनख्वाह 15000 से 25000 रुपए प्रति महीने थी। मारे गए लोगों के परिजनों से जब इंडियन एक्सप्रेस ने बात की तो उन्होंने बताया कि डेड बॉडी को घर ले जाने के लिए भी उनके पास संसाधन नहीं हैं।

क्लब के बेसमेंट में भर गया था धुआं

नाइट क्लब में मारे गए लोग उत्तराखंड से लेकर झारखंड और नेपाल से लेकर असम के रहने वाले थे। ये लोग क्लब के रेस्तरां में रसोईया, शेफ या सहायक के तौर पर काम करते थे। शुरुआती जांच में पता चला है कि क्लब के बेसमेंट में धुआं भर गया था और इस वजह से उस दौरान रसोई में काम कर रहे कई लोगों का दम घुट गया और वे वहां से बाहर नहीं निकल सके।

झारखंड के भी हैं तीन लोग

मरने वालों में झारखंड के तीन मजदूर भी शामिल हैं। इनमें रांची के लापुंग निवासी बिनोद महतो (19) और प्रदीप महतो (22) शामिल थे। दोनों भाई कुछ महीने पहले गोवा आए थे और रसोई में काम करते थे। उनके चाचा नारायण महतो बताते हैं, ‘दोनों की शादी भी नहीं हुई थी और उनके सामने पूरी जिंदगी पड़ी थी। गांव में बहुत गरीबी है, नौकरियां नहीं हैं, इसलिए युवाओं को रोजी-रोटी के लिए यहां आना पड़ता है।’

नारायण महतो कहते हैं कि उनके भतीजे अपना काम करते-करते मर गए और कोई उन्हें बचाने तक नहीं आया।

झारखंड के खूंटी जिले के विकास मुंडा के छोटे भाई मोहित भी इस हादसे में मारे गए। वह बताते हैं कि उनका भाई 1 साल पहले यहां आया था। मरने वालों में नेपाल के 30 साल के शेफ चूर्ण बहादुर पुन भी शामिल हैं। उनके रिश्तेदार पदम बताते हैं कि चूर्ण बहादुर पुन अपनी पत्नी और बेटी को हर महीने पैसे भेजते थे।

गोवा नाइट क्लब अग्निकांड का डरा देने वाला VIDEO

असम के सिलचर के रहने वाले राहुल तांती भी रसोई में काम कर रहे थे। उनके चचेरे भाई शिब्रीम ने कहा, “काश किसी ने उनकी मदद की होती।” वह बताते हैं कि राहुल 5 साल पहले गोवा आए थे। राहुल की पत्नी और तीन बच्चे हैं।