केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुरुवार को जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक के द्वारा बनाए गए NGO स्टूडेंट्स एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट ऑफ लद्दाख (एसईसीएमओएल) का एफसीआरए लाइसेंस तत्काल प्रभाव से रद्द कर दिया है। केंद्र सरकार की ओर से जारी आदेश में यह जानकारी दी गयी है।

मंत्रालय की यह कार्रवाई NGO के खातों में पाई गई कई कथित गड़बड़ियों पर आधारित है, जिसमें स्वीडन से मनी ट्रांसफर भी शामिल था। गृह मंत्रालय ने इसे राष्ट्रीय हितों के खिलाफ बताया है।

लेह में हुई थी हिंसा

यह घटनाक्रम लद्दाख को राज्य का दर्जा दिलाने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और लेह में बंद के दौरान सुरक्षाकर्मियों के बीच हुई हिंसक झड़पों में चार लोगों की मौत के एक दिन बाद हुआ है। हिंसा में 40 पुलिसकर्मियों सहित कम से कम 80 लोग घायल हो गए। सरकार ने हिंसा के लिए वांगचुक को जिम्मेदार ठहराया है।

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फोन पर संपर्क करने पर, वांगचुक ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि वह NGO के लिए सिर्फ एक दानदाता हैं और वहां पढ़ाते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने की जानकारी नहीं है। एसईसीएमओएल के अलावा, वांगचुक ने हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव्स लद्दाख (एचआईएएल) की भी स्थापना की थी, जो कथित विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के उल्लंघन से संबंधित सीबीआई जांच का सामना कर रहा है।

गृह मंत्रालय ने मांगा था स्पष्टीकरण

आदेश में कहा गया है कि एसईसीएमओएल को सांस्कृतिक और शैक्षणिक कार्यक्रम चलाने के लिए विदेशी योगदान स्वीकार करने का लाइसेंस दिया गया था। गृह मंत्रालय ने इससे पहले एसईसीएमओएल को कारण बताओ नोटिस जारी कर संगठन के लेनदेन में पाई गई विभिन्न अनियमितताओं पर स्पष्टीकरण मांगा था।

आरोप लगाया गया कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के दौरान वांगचुक ने एफसीआरए अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन करते हुए एसोसिएशन के एफसीआरए खाते में 3.5 लाख रुपये जमा किए। एसईसीएमओएल द्वारा दिए गए स्पष्टीकरण के अनुसार, यह एफसीआरए निधि से 14 जुलाई 2015 को खरीदी गई पुरानी बस की बिक्री से प्राप्त रकम थी।

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दिशा-निर्देशों के अनुसार, एफसीआरए के कोष से प्राप्त किसी भी परिसंपत्ति की बिक्री से प्राप्त राशि को केवल एफसीआरए के खाते में ही जमा किया जाना चाहिए। मंत्रालय ने कहा कि यह राशि अधिनियम की धारा 17 का उल्लंघन करते हुए नकद प्राप्त की गई है, जिसका NGO ने अपने जवाब में सही ढंग से खुलासा नहीं किया है।

आगे कहा गया है, “इसके अलावा, एसोसिएशन द्वारा सोनम वांगचुक से एफसी दान के रूप में 3.35 लाख रुपये की राशि की जानकारी दी गई है। हालांकि, यह लेनदेन एफसीआरए खाते में नहीं दिखाया गया है, जो अधिनियम की धारा 18 का उल्लंघन है।” मंत्रालय ने NGO के एफसीआरए खातों में 54,600 रुपये की स्थानीय निधियों के ट्रांसफर पर भी रोक लगा दी।

विभिन्न कार्यशालाओं और प्रशिक्षणों के माध्यम से प्रवासन, जलवायु परिवर्तन, ग्लोबल वार्मिंग, खाद्य सुरक्षा और संप्रभुता तथा जैविक खेती जैसे मुद्दों पर युवाओं के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए स्वीडन से लगभग 4.93 लाख रुपये का विदेशी योगदान भी मंत्रालय की जांच के दायरे में है।

एसईसीएमओएल के तर्क को किया खारिज

एसईसीएमओएल के इस तर्क को खारिज करते हुए कि धनराशि का उपयोग NGO के उद्देश्यों के अनुरूप केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए किया गया था, मंत्रालय ने कहा है कि विदेशी योगदान को राष्ट्र की संप्रभुता पर अध्ययन के लिए स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि यह राष्ट्रीय हितों के विरुद्ध है। NGO के खातों में कई अन्य विसंगतियों का हवाला देते हुए गृह मंत्रालय ने गुरुवार को जारी अपने आदेश में कहा कि वह एफसीआरए की धारा 14 के तहत दी गई अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए NGO को दिए गए लाइसेंस को तत्काल प्रभाव से रद्द करता है।

इससे पहले वांगचुक ने आरोप लगाया था कि सरकार उन्हें जेल में डालने के लिए उनके खिलाफ मामला बना रही है। लद्दाख के लिए राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा उपायों की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे कार्यकर्ता ने अपनी सुरक्षा को लेकर भी चिंता जताई।

मुझे जेल में डालने की कोशिश- वांगचुक

वांगचुक ने कहा, “मैं देख रहा हूं कि वे मुझ पर जन सुरक्षा अधिनियम के तहत मुकदमा चलाने और मुझे दो साल के लिए जेल में डालने की कोशिश कर रहे हैं।” उन्होंने कहा, “मैं इसके लिए तैयार हूं लेकिन सोनम वांगचुक को आजाद छोड़ने से कहीं ज्यादा समस्याएं उन्हें सोनम वांगचुक को जेल में रखने से हो सकती हैं।”