विपक्षी सदस्यों के शोर शराबे के बीच भारत के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने बृहस्पतिवार को राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया। इस दौरान कांग्रेस सांसदों ने ‘शेम-शेम’ के नारे लगाए और कुछ देर बाद विपक्षी सांसदों ने सदन से वॉकआउट कर दिया।
कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने गोगोई की नियुक्ति को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमले बताकर इसकी आलोचना की है। उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर-शराबा शुरू कर दिया। हंगामे पर आपत्ति जताते हुए सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है। इसके बाद गोगोई ने अंग्रेजी में शपथ ली। शपथ लेने के बाद उन्होंने सभापति और अन्य सदस्यों का अभिवादन किया।
सदन में हंगामे पर सभापति नायडू ने कहा, “आप संवैधानिक प्रावधानों को जानते हैं, आप उदाहरणों को जानते हैं, आप राष्ट्रपति के अधिकारों को जानते हैं।” नायडू ने कहा “आपको सदन में ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए। किसी मुद्दे पर पर आप अपनी राय सदन के बाहर व्यक्त करने के लिए स्वतंत्रता हैं।” कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विपक्षी सदस्यों का आचरण “पूरी तरह से अनुचित” था।
Members of opposition parties walk out from the House as Former Chief Justice of India Ranjan Gogoi takes oath as Rajya Sabha MP. https://t.co/HrtZ1vMrcP pic.twitter.com/UgITFNxREP
— ANI (@ANI) March 19, 2020
प्रसाद ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के कई गणमान्य लोग इस सदन के सदस्य रहे हैं। उन लोगों में पूर्व न्यायाधीश भी शामिल हैं जिन्हें मनोनीत किया गया था।
नायडू ने कहा, “हमें सदस्य का सम्मान करना चाहिए।” सदन की कार्यवाही शुरू होने से पहले कई सदस्यों ने गोगोई को बधाई दी। वह सदन में मनोनीत सदस्य सोनल मान सिंह के पास वाली सीट पर बैठे थे।
गौरतलब है कि सोमवार को पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई को राष्ट्रपति ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनित किया था। मनोनित किए जाने के बाद से ही पूर्व सीजेआई और सरकार के इस निर्णय की हर तरफ आलोचना होने लगी।
उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश कुरियन जोसफ सहित पूर्व न्यायाधीशों ने भी गोगोई के राज्यसभा में मनोनयन की कड़ी आलोचना की थी और कहा कि सेवानिवृत्ति के बाद पद लेना न्यायपालिका की स्वतंता को “कमतर” करता है।
जोसफ ने गोगोई और दो अन्य वरिष्ठ न्यायाधीशों जे. चेलमेश्वर और मदन बी. लोकुर के साथ 12 जनवरी 2018 को संवाददाता सम्मेलन करके तत्कालीन सीजेआई के तहत उच्चतम न्यायालय की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए थे।
बता दें मुख्य न्यायाधीश के पद से सेवानिवृत्त होने से एक महीने पहले गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने संवेदनशील अयोध्या मामले पर फैसला सुनाया था। गोगोई ने साथ ही सबरीमला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और राफेल लड़ाकू विमान सौदे संबंधी मामलों पर फैसला देने वाली पीठों का भी नेतृत्व किया था।