उत्तर प्रदेश में नए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कैबिनेट का गठन हो चुका हैं। योगी सरकार की नयी कैबिनेट में सभी जातिगत समीकरणों का पूरी तरह ध्यान रखा गया है, लेकिन योगी कैबिनेट में इस बार पुराने भाजपा का नेताओं का दबदबा कम होता नजर आया है। 2017 में योगी कैबिनेट में जहां 70 फीसदी तक पुराने भाजपा नेता शामिल थे जो 2022 कैबिनेट में घटकर 50 फीसदी से भी कम रह गये हैं। इस बार कैबिनेट में जातिगत समीकरण साधते हुए उन नेताओं को तरजीह दी गयी है जो 2014 के बाद भाजपा में शामिल हुए थे।  

योगी आदित्यनाथ कैबिनेट: शुक्रवार 25 मार्च को लखनऊ के इकाना स्टेडियम में हुए शपथ ग्रहण समारोह में करीब 53 मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें मुख्यमंत्री योगी के साथ कभी न कभी विवादों को लेकर चर्चा में रह चुके केशव प्रसाद मौर्या और ब्रजेश पाठक दोनों को उपमुख्यमंत्री बनाया गया है जबकि 16 कैबिनेट मंत्रियों और 14 स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्रियों और 20 राज्य मंत्रियों को शपथ दिलाई गई हैं।

2017 में योगी आदित्यनाथ की टीम में 46 मंत्रियों को शामिल किया गया था जिसमें 22 कैबिनेट मंत्री थे। इस बार मंत्रिमंडल में 16 मंत्रियों को कैबिनेट में शामिल किया गया है। इसमें से केवल 7 ही पुराने भाजपाई नेता है, जो 1980 और 1990 से भाजपा के साथ जुड़े हुए हैं। इन नेताओं में सूर्य प्रताप शाही, सुरेश कुमार खन्ना, स्वतंत्र देव सिंह, बेबी रानी मौर्या, धर्मपाल सिंह, भूपेंद्र सिंह चौधरी और योगेंद्र उपाध्याय का नाम शामिल है। 2017 की कैबिनेट में 22 में 16 मंत्री इस श्रेणी में आते थें।

नयी योगी कैबिनेट में बाकी बचे 9 कैबिनेट मंत्रियों में दो भाजपा के सहयोगी दल अपना दल से आशीष पटेल और निषाद पार्टी से संजय निषाद आते हैं। अन्य सात मंत्रियों में चौधरी लक्ष्मी नारायण, जयवीर सिंह, जितिन प्रसाद, राकेश सचान, नंद गोपाल गुप्ता, अरविन्द कुमार शर्मा और अनिल राजभार सभी 2014 की मोदी लहर के बाद भाजपा में आए हैं।

योगी सरकार में दिनेश शर्मा की जगह उपमुख्यमंत्री बनाये गए ब्रजेश पाठक 2016 में बसपा छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। 2015 के बाद बसपा से भाजपा में आए 3 लोगों को मंत्री बनाया गया है। वहीं इस बार सिद्धार्थ नाथ सिंह, श्रीकांत शर्मा और आशुतोष टंडन जैसे पुराने भाजपाइयों को कैबिनेट से बहार का रास्ता दिखाया गया है।

वहीं उत्तर प्रदेश भाजपा के वरिष्ठ नेता यह स्वीकार किया है मंत्रिमंडल में जाति, धार्मिक और सभी सामाजिक समीकरणों का ध्यान रखा गया है।