PNB घोटाले में नया मोड़ आ गया है। 11,400 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े में गीतांजलि जूलर्स के प्रमुख मेहुल चौकसी ने कंपनी को बंद करने की घोषणा कर दी है। कर्मचारियों को तत्काल रिलिविंग लेटर लेने को कहा गया है। गीतांजलि जूलर्स में काम करने वालों को फरवरी का वेतन भी नहीं दिया गया है, लिहाजा इस महीने की सैलरी मिलने पर संदेह है। ‘रिपब्लिक टीवी’ के अनुसार, कर्मचारियों के साथ फाइनल सेटलमेंट भी नहीं किया जाएगा। कंपनी में वर्षों से काम करने वाले कर्मचारियों को पीएफ और ग्रैच्युटी का लाभ मिलेगा या नहीं इस पर भी तस्वीर स्पष्ट नहीं है। ऐसे में कर्मचारियों को व्यापक आर्थिक नुकसान उठाना पड़ सकता है। सूत्रों की मानें तो गीतांजलि जूलर्स में तकरीबन तीन हजार कर्मचारी काम करते हैं। इन सभी को तत्काल प्रभाव से नौकरी छोड़ने का निर्देश दिया गया है। बता दें कि हजारों करोड़ का घोटाला सामने आने के बाद गीतांजलि जूलर्स के सीएफओ और बोर्ड मेंबर के सदस्य समेत चार शीर्ष अधिकारी पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं। त्यागपत्र देने वालों में सीएफओ चंद्रकांत करकरे, कंपनी सेक्रेट्री और सीसीओ पंखुरी और बोर्ड सदस्य कृष्णनन संगमेस्वरन शामिल हैं।
मेहुल चौकसी और नीरव मोदी ने मिलकर फर्जी दस्तावेज के आधार पर लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (एलओयू) जारी करा लिए थे। इसके जरिये मामा-भांजे ने पंजाब नेशनल बैंक को 11,400 करोड़ रुपये का चूना लगा दिया। PNB ने 14 फरवरी को रेगुलेटरी फाइलिंग में हजारों करोड़ के फर्जीवाड़ी का खुलासा किया था। इस घोटाले को मुंबई के ब्रैडी हाउस स्थित PNB के ब्रांच से अंजाम दिया गया था। इस पूरे घालमेल में नीरव और मेहुल के अलावा अन्य हीरा व्यवसायी के शामिल होने का भी संदेह है। भारत के अब तक के सबसे बड़े बैंकिंग घोटाले के दोनों मुख्य आरोपी फर्जीवाड़े का खुलासा होने से पहले ही विदेश जा चुके थे। दूसरी तरफ, नीरव मोदी ने PNB को 16 फरवरी को पत्र लिखकर बताया कि उनकी कंपनियों पर 5,000 करोड़ रुपये का ही बकाया है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पहले ही नीरव मोदी और मेहुल चौकसी को नोटिस भेजकर पूछताछ के लिए पेश होने को कह चुका है। इसके अलावा प्रधानमंत्री कार्यालय ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और आरबीआई से इस घोटाले को लेकर स्पष्टीकरण मांगा है।
