PDP President Mehbooba Mufti: जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और कर्नाटक के मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा है। इस पत्र में मुफ्ती ने वक्फ (संशोधन) विधेयक पर उनके रुख और न्याय तथा भारत के समावेशी विचार के लिए खड़े होने के लिए उन्हें धन्यवाद दिया है।

महबूबा मुफ़्ती ने एमके स्टालिन, ममता बनर्जी और सिद्धारमैया को लिखा, “इस अंधेरे समय में, आपकी हिम्मत और स्पष्टता आशा की एक दुर्लभ किरण रही है। कुछ सिद्धांतवादी आवाज़ों के साथ, आप न्याय और भारत के समावेशी विचार के लिए खड़े हुए हैं।”

पीडीपी चीफ ने आगे लिखा, “मैं उन लोगों के प्रति अपना गहरा सम्मान और आभार व्यक्त करने के लिए लिख रही हूं जो खुद को आवाज़हीन और हाशिए पर महसूस करते हैं। आपके निरंतर समर्थन और नेतृत्व के साथ, मुझे विश्वास है कि हम अपने संवैधानिक मूल्यों और साझा भविष्य को पुनः प्राप्त कर सकते हैं।”

अपने पत्र में मुफ़्ती ने कहा कि भारत बहुसंख्यकवाद के बढ़ते ख़तरे का सामना कर रहा है जिसका असर अल्पसंख्यकों, ख़ासकर मुसलमानों पर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि एक दशक से ज़्यादा समय से भारत बहुसंख्यकवाद के बढ़ते ज्वार का सामना कर रहा है, जो बहुलता और विविधता के अपने मूल मूल्यों को ख़तरे में डाल रहा है। जबकि ज़्यादातर नागरिक इस एजेंडे को अस्वीकार करते हैं, नफ़रत और विभाजन को बढ़ावा देने वाले लोग अब हमारे संविधान, संस्थाओं और धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को निशाना बनाकर सत्ता में हैं।

उन्होंने लिखा, “अल्पसंख्यकों, विशेषकर मुसलमानों को इसका खामियाजा भुगतना पड़ रहा है, हाल ही में नए वक्फ कानूनों को मनमाने ढंग से लागू करने के माध्यम से, जो हमारी धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करते हैं।”

मुफ्ती ने नये कानून को जम्मू -कश्मीर के विशेष दर्जे को समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने जैसे पहले के कदमों की ही अगली कड़ी बताया।

मुफ्ती ने अपने पत्रों में लिखा, “ये कार्यवाहियां पहले की अन्यायपूर्ण घटनाओं जैसे कि विशेष दर्जा समाप्त करना और जम्मू-कश्मीर के विभाजन की याद दिलाती हैं तथा अधिकारों के प्रणालीगत क्षरण के व्यापक पैटर्न को दर्शाती हैं।”

मुफ्ती द्वारा तीनों मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्र सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस और प्रतिद्वंद्वी पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के बीच जम्मू-कश्मीर विधानसभा में नये कानून पर चर्चा नहीं करने को लेकर तीखी बयानबाजी के बाद आए हैं।

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जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायकों और कुछ गैर- भाजपा विपक्षी सदस्यों ने विधानसभा में वक्फ अधिनियम पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव लाया, नेशनल कॉन्फ्रेंस के सबसे वरिष्ठ सदस्यों में से एक अध्यक्ष अब्दुल रहीम राथर ने किसी भी तरह की बहस से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि मामला अदालत में विचाराधीन है।

हालांकि, विपक्ष ने नेशनल कॉन्फ्रेंस और उसके स्पीकर पर अधिनियम पर किसी भी बहस को जानबूझकर बाधित करने का आरोप लगाया और इसे फिक्स मैच कहा। पीडीपी नेताओं ने अक्सर स्टालिन और ममता बनर्जी के रुख का हवाला दिया है और नेशनल कॉन्फ्रेंस पर एकमात्र मुस्लिम बहुल राज्य में विधेयक पर चर्चा नहीं होने देने का आरोप लगाया है।

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(इंडियन एक्सप्रेस के लिए बशारत मसूद की रिपोर्ट)