मद्रास और मेघालय हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी (Justice Sanjib Banerjee) का कहना है कि बहुत से लोगों को रिटायर होने के बाद नये माहौल में खुद को बदलने में कठिनाइयां होती हैं, क्योंकि वे सभी चीजें और सुविधाएं खत्म हो जाती हैं, जो पद पर रहने के दौरान मिलती थीं। एक चीफ जस्टिस के रूप में आप हवाई अड्डे पर बिना तलाशी के गुजरते हैं। आपका सामान चेक नहीं किया जाता। एक बार जब आप पद छोड़ देते हैं, तो आप एक सामान्य नागरिक बन जाते हैं।
जस्टिस बनर्जी बोले- चुनाव आयोग पर कमेंट से नहीं हुआ था ट्रांसफर
बार एंड बेंच को दिए एक इंटरव्यू में जस्टिस संजीब बनर्जी से जब यह सवाल पूछा गया कि क्या चुनाव आयोग पर आपके कमेंट की वजह से आपका ट्रांसफर मद्रास हाईकोर्ट से मेघालय हाईकोर्ट किया गया था, तो उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है। जस्टिस संजीब बनर्जी ने कहा उसकी वजह ज्यादा गहरी और गंभीर थी। जो संस्था को भी नुकसान पहुंचा रही है।
पूर्व चीफ जस्टिस बोले- CJI को सबूतों के साथ दी थी पूरी जानकारी
उन्होंने कहा, “मुझे भ्रष्ट जज मिले। इनके बारे में मैंने भारत के चीफ जस्टिस को सबूतों के साथ बताया। दुर्भाग्य से उन भ्रष्ट जजों की दोस्ती ऊपर बैठे बड़े लोगों से थी। इसके चलते मेरा ट्रांसफर मद्रास हाईकोर्ट से मेघालय हाईकोर्ट कर दिया गया। यही असली वजह थी।”
हालांकि मद्रास हाईकोर्ट के तत्कालीन चीफ जस्टिस संजीब बनर्जी ने विधानसभा चुनाव के दौरान रैलियों में कोविड के मानदंडों का दुरुपयोग होने और उसे रोक पाने में चुनाव आयोग की विफलता पर कड़ा कमेंट किया था। उन्होंने कहा था, “आप एकमात्र संस्था हैं जो आज की स्थिति के लिए जिम्मेदार हैं…कोर्ट के आदेश के बावजूद रैलियां निकालने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की।” कोर्ट ने यह भी कहा था कि “चुनाव आयोग पर हत्या का आरोप लगाया जाना चाहिए।”
उन्होंने कहा कि साफ तौर पर और ज्यादा बोलने वाला जज हमेशा अच्छा होता है। मुखर होना या न बोलना अलग बात है। एक बोलने वाला जज हमेशा अच्छा होता है क्योंकि जब वकील को पता चल जाता है कि जज किस तरह से सोच रहा है, तो वह मामले को बेहतर ढंग से देख सकता है। जजों को राजनीतिक कमेंट नहीं करने चाहिए।