केरल हाईकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि ड्रंक एंड ड्राइव के केस में मेडिकल रिपोर्ट को अनिवार्य न माना जाए। कोर्ट गवाहों और हालात को देखकर अपने आप से फैसला कर सकती हैं कि आरोपी ने गाड़ी चलाते समय शराब पी थी या नहीं। कोर्ट को लगता है कि आरोपी ने कार चलाते समय शराब पी रखी थी तो वो आईपीसी के सेक्शन 304 के तहत उस समय मामले का संज्ञान ले सकती है जब उस हादसे में घायल हुए शख्स की मौत हो गई हो। कोर्ट का कहना था कि हादसे के वक्त आई चोटों से भी किसी की जान गई हो तो भी 304 के तहत केस चलाया जाए। केरल हाईकोर्ट के जस्टिस बेचू कुरियन ने दो अपीलों की सुनवाई के दौरान ये फैसला दिया। उनका कहना था कि हालात और गवाह केस का मसौदा है।
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 के तहत गैर इरादतन हत्या का केस चलता है। इस मामले में अगर कोई आरोपी दोषी पाया जाता है तो अपराध की गंभीरता के आधार पर उसे आजीवन कारावास भी हो सकता है। ये धारा तब लगती है जब जानबूझकर किसी को न मारा गया हो।
IAS ऑफिसर पर है पत्रकार की जान लेने का आरोप
मामले के तहत IAS ऑफिसर श्रीराम वेंकिटारमन पर आरोप है कि शराब के नए में अनियंत्रित कार चलाकर उन्होंने पत्रकार केएम बशीर को टक्कर मार दी थी। इस हादसे में पत्रकार की जान चली गई थी। उस वक्त ऑफिसर के साथ कार में एक महिला वफा फिरोज भी सवार थी। दोनों के खिलाफ पुलिस ने केस दर्ज किया लेकिन IAS ऑफिसर के ब्लड सैंपल पुलिस सही समय पर नहीं ले सकी। इससे पता चलते कि वो कितने नशे में थे। पुलिस का कहना है कि IAS ऑफिसर मौका देखकर सरकारी अस्पताल से निकल गए। इससे सही समय पर उनका ब्लड सैंपल नहीं लिया जा सका।
एडिशनल सेशन कोर्ट ने किया था बरी, सेशन कोर्ट ने कर दिए चार्ज फ्रेम
अक्टूबर 2022 में एडिशनल सेशन जज ने ऑफिसर और उसकी महिला मित्र को इस मामले से डिस्चार्ज कर दिया, क्योंकि मेडिकल रिपोर्ट के बगैर ये साबित नहीं किया जा सका कि उन्होंने उस वक्त शराब पी रखी थी। कोर्ट ने सेक्शन 304, 201, मोटर व्हीकल एक्ट के सेक्शन 185, और प्रिवेंशन ऑफ डैमेज टू पब्लिक प्रॉपर्टी एक्ट की धारा 3(1)(2) से उनको बरी कर दिया। लेकिन सेशन कोर्ट ने उनके खिलाफ चार्ज फ्रेम कर दिए। उनके खिलाफ आईपीसी के सेक्शन 279, 304(A), 184 MV Act के तहत चार्ज फ्रेम किए गए। जबकि फिरोजा पर सेक्शन 188, 184 लगाया गया। केरल सरकार के साथ वफा फिरोज ने सेशन कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी, जिन पर सुनवाई के दौरान ये फैसला सुनाया गया।