महाराष्ट्र में गरीब मरीजों के लिए बड़ी ही विकट स्थिति खड़ी हो गई है। उनके स्वास्थ्य सुविधाओं पर महाराष्ट्र सरकार के बजट की गाज गिर गई है। राज्य सरकार डॉक्टरों को सैलरी नहीं दे पा रही है और स्वास्थ्य सेवा में इस्तेमाल होने वाली बाइक एंबुलेंस का रिइंबर्समेंट (खर्च हुए पैसे का भुगतान) नहीं हो पा रहा है। ऐसे में विशेष तौर पर कमजोर तबके को मिलने वाली स्वास्थ्य सुविधाओं का अकाल पड़ गया है। महाराष्ट्र के पालघर में इमरजेंसी मेडिकल सर्विसेज (एमईएमएस) में मोटरबाइक एंबुलेंस का इस्तेमाल होता है। लेकिन, इसका एक साल तक इस्तेमाल करने के बाद इन्हें डॉक्टरों ने अनिश्चितकाल के लिए रोक दिया है। यही नहीं पालघर में सड़क और ब्रिज के ढहने से गांवों तक पहुंच मुश्किल हो गई है।

मोखदा निवासी विमलबाई पाटिल (64) सितंबर के पहले सप्ताह में दो दिनों से बुखार से पीड़ित थीं। उनके 28 साल के बेटे किशोर ने बताया, “इससे पहले हम बाइक एंबुलेंस से गए थे। लेकिन अब वे रुक गए हैं। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में जाने के लिए हमें लगभग 3 किमी तक चलना पड़ता है। जब कोई व्यक्ति अस्वस्थ होता है तो यह मुश्किल है।” किशोर बताते हैं कि अंततः विक्रमगढ़ के एक मेडिकल स्टोर के मालिक के पास गए और अपनी मां की स्थिति के बारे में बताया, जिसके बाद उन्हें दवा मिली।

मोटरबाइक एंबुलेंस को आपातकालीन प्रतिक्रिया टीमों में शुरू किया गया था ताकि जहां चार पहिया वाहन नहीं पहुंच सकते हैं, वहां यह आसानी से इसके जरिए स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाया जा सके। जिले के एक कर्मचारी ने बताया, “डॉक्टर उन लोगों को चिन्हित करते हैं जिन्हें दवाई की जरूरत होती है इसके अलावा कैंप भी आयोजित किए जाते हैं। किसी भी हालात में गांवों तक पहुंचने के लिए मोटरबाइक अच्छा साधन है।” यह सेवा कई जिलों में शुरू की गई, लेकिन पालघर में यह दो महीने से ठप पड़ी है। कर्मचारी ने बताया,”डॉक्टरों को 5 महीने से सैलरी नहीं दी गई है। तीन यहां से छोड़कर चले गए हैं, जबकि 2 दिखाई भी नहीं देते।”