दिल्ली का ओल्ड राजेन्द्र नगर यानी सिविल सेवाओं के तैयारी करने वाले छात्रों का हब। पिछले दिनों बारिश के बाद हुए जलभराव से तीन छात्र एक कोचिंग के बेसमेंट में फंसे और उनकी मौत हो गई। तब से छात्र इस लापरवाही के लिए जिम्मेदार लोगों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे हैं। इस मामले में एक मजिस्ट्रेट जांच रिपोर्ट में आई है। खुलासा हुआ है कि एमसीडी के भवन निर्माण विभाग की लापरवाही और फायर डिपार्टमेन्ट के साथ-साथ वह संस्थान भी दोषी है, जहां यह मामला पेश आया था।

रिपोर्ट में क्या खुलासा हुआ है?

मजिस्ट्रेट जांच में पता चला है कि दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) और अग्निशमन विभाग ने कई कानूनों का उल्लंघन किया है। साथ ही  राऊज आईएएस स्टडी सर्किल’ के मालिक और मैनेजमेंट भी छात्रों के जीवन की परवाह किए बिना बेसमेंट का खतरनाक तरीके से दुरुपयोग कर आपराधिक लापरवाही के लिए जिम्मेदार हैं। बेसमेंट में डूबने से श्रेया यादव (25), तेलंगाना की तान्या सोनी (25) और केरल के नेविन डेल्विन की मौत हो गई थी। यह तीनों बेसमेंट में बनी लाइब्रेरी में पढ़ रहे थे।

पीटीआई की एक खबर के मुताबिक रिपोर्ट से पता चला कि इमारत में ‘‘नियमों के उल्लंघन’’ की एमसीडी और अग्निशमन विभाग के अधिकारियों को पहले से जानकारी दी, लेकिन उन्होंने कोई कार्रवाई नहीं की।

जिला मजिस्ट्रेट (मध्य) द्वारा की गई जांच से पता चला कि जिस इमारत में कोचिंग सेंटर संचालित किया जा रहा था, उसके पास ‘‘कार्यालय/व्यावसायिक’’ उपयोग की अनुमति थी, जिसके लिए आग संबंधी किसी अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) की आवश्यकता नहीं थी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि हालांकि, इसके लिए अग्निशमन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र की आवश्यकता थी, क्योंकि इसका उपयोग ‘शैक्षणिक उद्देश्य’ के लिए किया जा रहा था और इसकी ऊंचाई नौ मीटर से अधिक थी। इन सभी मामलों में काफी लापरवाही बरती गई। विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि ऐसी ही लापरवाही और भी कई संस्थानों में है लेकिन इस ओर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा।