नियमों को ताक पर रखकर विदेशों से चंदा लेने के मामले में ओलंपियन और विश्व विजेता मुक्केबाज एमसी. मैरीकॉम भी जांच के घेरे में आ गई हैं। गृह मंत्रालय ने मंगलवार (20) मार्च को लोकसभा में इसकी जानकारी दी। मैरीकॉम की गैर सरकारी संस्था (एनजीओ) मैरीकॉम रीजनल फाउंडेशन पर विदेशी चंदा विनियमन कानून (एफसीआरए) के प्रावधानों के उल्लंघन का आरोप लगाया गया है। मैरीकॉम राज्यसभा की मनोनीत सदस्य भी हैं। गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने सदन को बताया कि मैरीकॉम की संस्था के अलावा 20 अन्य संगठनों की जांच की जा रही है। राजीव गांधी चैरिटेबल ट्रस्ट और एमनेस्टी इंटरनेशनल का नाम भी इस सूची में शामिल है। रिजिजू ने बताया कि केरल और अरुणाचल प्रदेश में सक्रिय 15 ईसाई एनजीओ और अन्य संगठनों के खातों का ऑडिट किया गया है। शुरुआती छानबीन भी की गई है, जिसके बाद इन संगठनों के खिलाफ जांच का आदेश दिया गया। ‘द हिंदूू’ की रिपोर्ट के अनुसार, बेंगलुरु स्थित सेंटर फॉर इंटरनेट सोसाइटी को भी विदेशी चंदा को लेकर गृह मंत्रालय ने नोटिस जारी किया है। इसी संगठन ने पिछले साल 13 करोड़ आधार नंबर लीक होने की जानकारी दी थी। इन सब पर एफसीआरए के प्रावधानों का उल्लंघन कर विदेशों से चंदा लेने का संदेह है।
वेलफेयर ट्रस्ट और एनजीओ में काला धन खपाने वालों पर आयकर विभाग की पहले से ही नजर है। ट्रस्ट और एनजीओ की आमदनी आयकर से मुक्त होती है। इसलिए इसका इस्तेमाल काले धन को खपाने में करने का संदेह है। नोटबंदी के बाद ऐसे कई संगठनों के खातों में धनराशि अचानक से बढ़ गई थी। इसे देखते हुए आयकर विभाग ने सभी ट्रस्ट और एनजीओ के खातों की निगरानी शुरू कर दी थी। आयकर विभाग के मुताबिक, ट्रस्ट और एनजीओ की आमदनी भले ही टैक्स फ्री है, लेकिन आमदनी का स्रोत दर्शाना जरूरी है। कई गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा विदेशी चंदों के दम पर भारत में देश विरोधी गतिविधि चलाने के भी आरोप लगाए गए हैं। इसके देखते हुए ग्रीनपीस के खिलाफ सख्त कार्रवाई की गई थी। किसी भी एनजीओ पर विदेशों से चंदा लेने पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन ऐसे संगठनों के लिए एफसीआरए के प्रावधानों का पालन करना अनिवार्य कर दिया गया है। मालूम हो कि कुडानकुलम परमाणु संयंत्र के खिलाफ ग्रीनपीस के प्रदर्शन के बाद से सरकार ने सख्त रवैया अपना लिया था। इस संगठन पर निहित स्वार्थों के तहत स्थानीय लोगों को उकसाने का आरोप लगाया गया था। संगठन ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया था। भारत और अमेरिका के बीच शीर्ष स्तर पर भी इस मसले को उठाया गया था। बता दें कि तमिलनाडु स्थित कुडानकुलम परमाणु संयंत्र का निर्माण रूस के सहयोग से किया गया है।