देश में नए राजोगारों का सृजन सरकार के लिए चुनौती बना हुआ है। इस मुद्दे पर बोलते हुए एक बार पीएम मोदी ने पकौड़े बेचने को भी एक नौकरी बताया था। पीएम मोदी के इस बयान पर काफी हंगामा हुआ था, लेकिन तमिलनाडु के त्रिची (त्रिचुरापल्ली) शहर में सैंकड़ों की संख्या में एमबीए, इंजीनियर युवा सड़कों पर वेंडर का काम कर रहे हैं। इन युवाओं का काम मौजे, रुमाल और डूरमेट आदि सामान घूमते-फिरते लोगों को बेचने का है।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर के अनुसार, त्रिची की एनएसबी रोड पर रोजाना सैंकड़ों युवा वहां से गुजरने वाले लोगों को अपना सामान बेचने की कोशिश करते दिखाई दे जाते हैं। खास बात ये है कि इस रोड पर वेंडर्स की संख्या 700 के करीब है, जिनमें से काफी सारे एमबीए, इंजीनियर, स्नातक और परास्नातक हैं।

त्रिची स्ट्रीट वेंडर्स एसोसिएशन के महासचिव अशरफ अली के मुताबिक उनके वेंडर्स में से 10 एमबीए, 25 इंजीनियर, 40 स्नातक और कुछ परास्नातक हैं। दरअसल उच्च शिक्षा पास या सामान्य युवा नौकरी ना मिलने के चलते खर्च चलाने के लिए वेंडर का काम करने को मजबूर हैं।

इंटरव्यू में नहीं मिली सफलताः खबर के अनुसार, वेंडर का काम करने वाले युवाओं का कहना है कि उन्हें कई साल ढूंढने के बाद भी नौकरी नहीं मिली। वेंडर का काम करने वाले एक मैकेनिकल इंजीनियर ने बताया कि ‘अंतिम इंटरव्यू उसका बेहद ही खराब रहा था, क्योंकि उसे चौकीदार को अपना रेज्यूमे देने को कहकर भेज दिया गया था। इसलिए अब मैंने इंटरव्यू देना बंद कर दिया है।’

कमीशन पर काम करते हैं: वेंडर का काम करने वाले युवाओं का कहना है कि वह कमीशन पर काम करते हैं। दरअसल वरिष्ठ वेंडर या दुकानदार उन्हें सामान देते हैं और उन्हें इसे बेचना होता है, जिस पर उन्हें कमीशन मिलता है। वेंडर का काम करने वाले एक अन्य युवक ने बताया कि जब उसे कोई अच्छी नौकरी नहीं मिली तो उसने सरकारी नौकरी के लिए कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिलने के बाद उन्होंने वेंडर का काम शुरू कर दिया और उन्हें यह काम करने पर कोई शर्म भी नहीं है।

कुछ युवा, जो पढ़ाई कर रहे हैं, वह पार्ट टाइम जॉब के तौर पर भी वेंडर का काम कर रहे हैं। वेंडर का काम करने वाले एक एमबीए पास युवक ने बताया कि मेरे परिवार को पता नहीं है कि मैं एक वेंडर का काम करता हूं, अगर उन्हें पता चला तो उन्हें दुख होगा। मैं उम्मीद करता हूं कि उन्हें इस बारे में कभी पता ना चले।