बहुजन समाज पार्टी अभी परिवर्तन के दौर से गुजर रही है, बड़े स्तर पर बदलाव हुए हैं। उन बदलावों में आकाश आनंद को पार्टी से बाहर निकाल दिया गया है, उनके ससुर को भी पार्टी से आउट किया गया है। अब दो चेहरे बाहर हुए हैं, लेकिन दो चेहरों को और ज्यादा जिम्मेदारी भी देने का काम हुआ है। मायावती ने एक तरफ भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर बनाया तो वहीं दूसरी तरफ रामजी गौतम को भी राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर नियुक्त किया गया है। इन दोनों ही नेताओं को उनके अनुभव की वजह से जाना जाता है, संगठन पर पकड़ भी मजबूत रखते हैं और सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों मायावती के काफी करीबी हैं।

कौन हैं रामजी गौतम?

रामजी गौतम की बात करें तो वे लखीमपुर खीरी के रहने वाले हैं। 1976 में उनका जन्म हुआ था और जाटव समाज से वे ताल्लुक रखते हैं। शुरुआती दिनों में ही वे बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़ गए थे और तभी से चुनाव की बारीकियों को समझना शुरू कर दिया। रामजी को सबसे पहले बांदा का समन्वयक बनाया गया था, इसके बाद तो कई जिलों की जिम्मेदारी उन्हें मिलती चली गई। फिर समय आगे बढ़ा और मायावती का रामजी पर भरोसा भी बढ़ता गया। उस भरोसे की तस्दीक तब और गई जब 2018 में मायावती ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया।

रामजी को आगे कर क्या दिखाया?

बसपा एक ऐसी पार्टी है जहां पर दो ही पदों को सबसे अहम माना जाता है, एक रहा राष्ट्रीय अध्यक्ष और दूसरा उपाध्यक्ष। ऐसे में सेंकड नंबर वाली ताकत रामजी को 2018 में ही सौंप दी गई थी। अब तो एक कदम आगे बढ़कर उन्हें राष्ट्रीय कॉरिडिनेटर नियुक्त कर दिया गया है। जानकार मानते हैं कि मायावती ने रामजी को आगे कर दो बड़े संदेश दे दिए हैं- पहला तो यह कि जमीनी कार्यकर्ताओं को हमेशा तवज्जो मिलेगी और दूसरा यह कि बसपा में परिवारवाद को ज्यादा हवा नहीं दी जाएगी।

आनंद कुमार कौन है?

अब इस समय दूसरा नाम जो काफी चर्चा में चल रहा है, वो है आनंद कुमार का। आनंद कुमार मायावती के छोटे भाई हैं, लेकिन उनका सियासी सफर उतार-चढ़ाव वाला रहा है। मायावती ने एक समय आंद को बीएसपी का उपाध्यक्ष बना दिया था। लेकिन कुछ ही महीनों बाद उनका भरोसा डगमगाया और उन्होंने उनकी छुट्टी करते हुए जयप्रकाश सिंह को उपाध्यक्ष बना दिया। बड़ी बात यह रही कि आनंद को मायावती ने पार्टी से बाहर भी कर दिया था। लेकिन अब उन्हें फिर पार्टी में भी वापस लाया गया है और राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर का पद भी मिला।

मायावती को नहीं मिले ‘अच्छे शिष्य’?

जानकार आनंद कुमार को लेकर इतना जरूर कहते हैं कि उन्हें चुनावी अनुभव ज्यादा नहीं है। ऐसे में मायावती उनके लिए आने वाले दिनों में क्या भूमिका रखती हैं, उनसे क्या उम्मीद रहती है, यह देखना दिलचस्प रहेगा। यहां जानना जरूरी है कि मायावती का अनुभव राजनीति में नई पीढ़ी को खड़ा करने में बहुत अच्छा नहीं रहा है। जिस तरह से एक समय काशीराम ने मायावती को राजनीति के दांव-पेच सिखाए थे, वैसा अनुभव दूसरे नेताओं को मायावती से नहीं मिल सका। आर के चौधरी, बाबूराम कुशवाहा, नसीमुद्दीन सिद्धीकी, स्वामी प्रसाद मौर्या कुछ ऐसे नेता रहे हैं जिन्होंने बहुजन समाज पार्टी में बड़े नेताओं का तमगा हासिल तो किया, लेकिन समय के साथ उनका करिश्मा वैसे ही कम भी होता गया।

मायावती का उत्तराधिकारी कौन?

मायावती को करीब से जानने वाले जानकार मानते हैं कि बहुजन समाज पार्टी में बहन जी कॉम्पटीशन ज्यादा पसंद नहीं करती हैं, वे नहीं चाहती हैं कि पार्टी में उनका विकल्प खड़ा हो सके। इसी वजह से आकाश आनंद को लेकर इतनी असमंजस की स्थिति दिख जाती है, कभी उन्हें सीधे अपना उत्तराधिकार बताती हैं तो कभी सीधे पार्टी से ही बाहर निकाल देती हैं। अभी के लिए बसपा में गिनती के ऐसे चेहरे बचे हैं जिन्हें लोकप्रियता हासिल है। इसमें नाम सतीश चंद्र मिश्रा का भी आता है, ब्राह्मण चेहरा होना उन्हें फायदा भी देता है, लेकिन उनकी भविष्य में कैसी भूमिका रहेगी, इस पर संदेह है।