मथुरा जिला प्रशासन और पुलिस पिछले महीने से ‘ऑपरेशन जवाहर बाग’ की तैयारी कर रही थी, लेकिन यह ऑपरेशन कामयाब नहीं हुआ। इसके पीछे वजह है कि डीएम और एसएसपी ने हथियारों और देसी बम से लैस तीन हजार से ज्यादा ‘सत्याग्रहियों’ का सामना करने के लिए केवल 50-60 पुलिसकर्मियों को भेजा। डीएम और एसएसपी अपने घर पर ही रहे, जबकि एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और सिटी मजिस्ट्रेट राम अरज यादव ने पुलिस टीम का नेतृत्व किया।

मथुरा पुलिस से जुड़े सूत्रों का मुताबिक जब सत्याग्रहियों की फायरिंग से एसपी सिटी और स्टेशन ऑफिसर घायल हो गए, तब अतिरिक्त पुलिस बल भेजा गया और डीएम और एसएसपी घटनास्थल पर पहुंचे। लेकिन दंगाई पुलिस से ज्यादा हथियारों से लैस थे। साथ ही सूत्रों ने बताया कि एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी को सत्याग्रहियों पर गोली चलाने की अनुमति नहीं दी गई, जिसके वजह से शुरुआती राउंड में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।

पुलिस टीम को जवाहरबाग भेजने से पहले डीएम राजेश कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ऑपरेशन के बारे में जानकारी दी थी। हालांकि, डीएम राजेश कुमार ने शुक्रवार को मीडिया से कहा, ‘हम लोग ट्रायल कर रहे थे। यह फाइनल ऑपरेशन नहीं था। हमने कभी नहीं सोचा था कि वे हम पर हमला कर देंगे। उन्होंने पिछले ट्रायल्स के दौरान भी कभी ऐसा नहीं किया।’

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सत्याग्रही पिछले दो साल से उस जमीन पर रह रहे हैं, ऐसे में स्थानीय खुफिया यूनिट और स्थानीय पुलिस उस इलाके में जाने की हिम्मत तक नहीं करती थी, ऐसे में उन्हें प्रदर्शनकारियों की कोई जानकारी नहीं थी। पुलिस के पास केवल सत्याग्रहियों के नेता रामवृक्ष यादव और चंदन बॉस सहित चार नेताओं की जानकारी थी। अप्रैल में मथुरा जिला प्रशासन ने सत्याग्रहियों को नोटिस जारी करके वह जमीन खाली करने के लिए कहा था। जमीन यूपी सरकार के बागवानी विभाग की है।

सीनियर वकील और मथुरा बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष विजय पाल सिंह तोमर ने जवाहर बाग खाली कराने के लिए हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल की थी। तोमर ने बताया, ‘जमीन पर कब्जा करने वाले लोगों की पहचान के लिए कोई कोशिश नहीं की गई। पुलिस ने सत्याग्रहियों के खिलाफ कई शिकायतें दर्ज की लेकिन उनकी जांच में अधिकत्तर के नामों का जिक्र नहीं था।’

साथ ही तोमर ने बताया, ‘स्थानीय लोगों द्वारा दर्जनों बार सत्याग्रहियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराए जाने बाद भी पुलिस उनके खिलाफ कार्रवाई करने में नाकाम रही। उन्हें बिजली कनेक्शन, पानी सप्लाई का कनेक्शन और अन्य सारी बुनियादी सुविधाएं दी गई हैं। ये सुविधाएं उन्हें किसके निर्देश पर मिल रही हैं, इसकी जांच होनी चाहिए।’

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हिंसा उस वक्त शुरू हुई जब पुलिसकर्मी इलाहाबाद हाईकोर्ट के निर्देश पर जवाहरबाग इलाके में अतिक्रमण हटाने गए थे। (Photo Source: Indian Express/Oinam Anand)