जम्मू-कश्मीर की सियासत में अचानक बदले घटनाक्रम ने पूरे देश का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। पीडीपी, नेशनल कॉन्फ्रेंस (एनसी) और कांग्रेस की तिकड़ी ने केंद्र की बीजेपी सरकार को भौचक्का कर दिया। बुधवार को तेजी से बदले घटनाक्रम में राज्यपाल सत्यपाल मलिक आखिर में वहीं कर बैठे जो यह तिकड़ी चाहती थी। जैसे ही पीडीपी, एनसी और कांग्रेस ने सरकार बनाने का दावा पेश किया। उन्होंने विधानसभा भंग कर दी। अब रास्ता सीधे चुनाव का खुल जाता है। साथ ही साथ बगावत से परेशान पीडीपी को मोहलत भी मिल गयी। इसके अलावा सबसे बड़ी चुनौती बन रहे ‘पिपुल्स कॉन्फ्रेंस’ के मुखिया सज्जाद लोन की उभरती गतिवधियों पर भी तीनों दलों ने लगाम कस दिया। क्योंकि, कश्मीर घाटी में राष्ट्रीय पार्टियों के अलावा सिर्फ नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी ही क्षेत्रीय दल थे। लेकिन, इस बीच पिपुल्स कॉन्फ्रेंस के नेता सज्जाद लोन का उभार इन दोनों क्षेत्रीय दोलों को खटकने लगा था। ऊपर से पीडीपी से बागी हो चुके उसके सह-संस्थापक मुजफ्फर हुसैन बेग के बारे में भी सज्जाद लोन के साथ नजदीकियों के बढ़ने की अटकलें लगायी जा रही थीं। पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती बेग की बगावत को पिछले जून महीने से ही झेल रही है।
एक डील और बदल गया रुख: सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक पीडीपी नेता और राज्य के पूर्व वित्त मंत्री अल्ताफ बुखारी ने एनसी, पीडीपी और कांग्रेस को एक मंच पर लाने के लिए खूब पसीना बहाया। डेढ़ महीने से बुखारी इस गठबंधन को औपचारिक रूप देने के लिए लगातार प्रयास कर रहे थे। गठबंधन को लेकर ये दल तब ज्यादा फिक्रमंद हुए जब उन्होंने पंचायत और नगर निकायों के चुनावों का बायकॉट किया और इस दौरान बीजेपी ने सज्जाद लोन को आगे बढ़ाने का काम किया। सज्जाद लोन ने श्रीनगर म्युनिसिपालिटी पर कब्जा जमा लिया और जम्मू-कश्मीर में बीजेपी के नए साथी के रूप में उभरकर सामने आए।
गठबंधन से जुड़े एक सूत्र ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को बताया कि बीजेपी और मुख्य रूप से सज्जाद लोन को सीन से बाहर करने के लिए पीडीपी और एनसी के पास सिवाय एक साथ आने के और कोई चारा नहीं बचा था। इसके अलावा कांग्रेस भी यह समझती है कि नए गठबंधन से देश के आगामी लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी के खिलाफ एक अच्छा मैसेज जाएगा। गठबंधन को अंजाम देने के लिए कांग्रेस से अंबिका सोनी, एनसी के उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की महबूबा मुफ्ती ने आपस में बात की।
एक तीर कई निशाने: इस पूरे सियासी खेल में बेचैनी बढ़ाने वाले सज्जाद लोन और मुजफ्फर बेग हैं।पीडीपी के बागी मुजफ्फर बेग ने मंगलवार को जैसे ही लोन की पार्टी पिपुल्स कॉन्फ्रेंस को जॉइन करने का इशारा किया। बुधवार को सारा घटनाक्रम बदल गया। मंगलवार को ही राजनीतिक रूप से गहरे बयान देने वाले बेग ने पीडीपी और एनसी के गंठबंधन की संभावनाओं को मुस्लिम गठबंधन कहकर खारिज कर दिया। सूत्र बताते हैं कि बेग बीजेपी के लिए अलग से तुरुप का पत्ता साबित हो रहे थे। लोन की मदद करते हुए बेग बीजेपी के वह अघोषित सिपाही बन रहे थे, जो पीडीपी, एनसी और कांग्रेस को एक साथ पटखनी देने का माद्दा रख रहा था।
बीजेपी के जनरल सेक्रेटरी राम माधव काफी अर्से से जम्मू-कश्मीर का प्रभार पार्टी की तरफ से देख रहे हैं। बताया जाता है कि वह लोन के साथ वह बड़े महत्वाकांक्षी योजना पर काम कर रहे थे। हालांकि, इस दौरान उनकी पार्टी सही समय पर सही निर्णय लेने से चूक गयी। खासकर सरकार बनाने के फैसले में काफी देरी की। एक महीने तक तो बीजेपी में ही आगामी रणनीति को लेकर कई मतभेद थे। जबकि, सज्जाद लोन और पीडीपी के 5 बागी विधायक बीजेपी हाईकमान से संपर्क में थे और पीडीपी से और विधायकों को तोड़ने पर आमादा थे। ये जमात उसी दौरान तोड़फोड़ करके बहुमत के आंकड़े को जुटाने की फिराक में थी। हालांकि, प्रदेश के राज्यपाल शुरू से कहते आ रहे थे कि जम्मू-कश्मीर में अब सरकार नए चुनाव होने के बाद ही बनेगी।
इसके अलावा एनसी और पीडीपी के साथ गठबंधने के बावजूद कांग्रेस चाहती थी कि प्रदेश में विधानसभा भंग हो। इस तरह इन तमाम चुनौतियों को पीडीपी, एनसी और कांग्रेस के गठबंधन ने महज 24 घंटे के भीतर धराशायी कर दिया है।
विधानसभा भंग, अब आगे का क्या?: राज्यपाल ने विधानसभा भंग कर दी है। केंद्र की तरफ से चला गया यह दांव पूरी तर से गठबंधन की जीत है। क्योंकि, अगर विधानसभा बहाल रहती तो बीजेपी के पास नए साथियों को जोड़ने और सरकार बनाने की संभावना बरकरार रहती। लेकिन, अब यह रास्ता भी बंद हो गया है और ख़ासकर पीडीपी के पास अपने बागियों से निपटने के लिए पर्याप्त समय मिल गया है।
घाटी की मुख्य विपक्षी पार्टी एनसी और कांग्रेस का एक साथ आना 1980 के बाद नया सियासी प्रयोग है। इससे पहले एनसी और कांग्रेस पहली बार 1980 में एक साथ आईं थीं। इन दलों का मुख्य लक्ष्य बीजेपी को राज्य की सत्ता से बाहर रखना है और लोकल लेवल पर छिटक चुके जनाधार पर दोबारा पकड़ बनाना।