Marital Rape Case: सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को वैवाहिक बलात्कार मामले (Marital Rape Case) की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी। लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि उनकी सेवानिवृत्ति से पहले बेंच मामले की पूरी सुनवाई नहीं कर सकती।
सीजेआई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे। उनकी जगह जस्टिस संजीव खन्ना को नियुक्त किया जा सकता है। डीवाई चंद्रचूड़ ने औपचारिक रूप से जस्टिस खन्ना के नाम की सिफारिश की है। केंद्र सरकार ने अभी तक इस सिफारिश को मंजूरी नहीं दी है।
यह देखते हुए कि उनकी अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच उनकी सेवानिवृत्ति से पहले मामले को पूरा नहीं कर पाएगी। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि वैवाहिक बलात्कार मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित की जाती है।
वैवाहिक बलात्कार के मामलों ( (Marital Rape Case) को अपराध घोषित करने की मांग करने वाली याचिकाओं पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने सुनवाई की।
यह मामला 17 अक्टूबर को लिया गया था और वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल संजरनारायणन ने कहा कि उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए कम से कम एक दिन चाहिए। मामले की सुनवाई 10 नवंबर से पहले पूरी होने की संभावना नहीं है। वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी (महाराष्ट्र राज्य के लिए) और वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह (प्रतिवादी-पत्नी के लिए) ने भी अपना पक्ष रखने के लिए एक दिन मांगा।
सभी पक्षों द्वारा दलीलें प्रस्तुत करने के लिए मांगे गए समय और आगामी दिवाली की छुट्टियों को ध्यान में रखते हुए मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि उनकी सेवानिवृत्ति से पहले मामले को पूरा करना मुश्किल होगा और उन्होंने मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित कर दी।
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लाइव लॉ ने मामले को अगले महीने तक स्थगित करने के पीठ के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि समय के अनुमान को देखते हुए हमारा मानना है कि निकट भविष्य में सुनवाई पूरी करना संभव नहीं होगा।
वैवाहिक बलात्कार का मामला: कानून क्या कहता है?
वैवाहिक बलात्कार का मामला: कानून क्या कहता है?
भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के अनुसार, यदि कोई पति अपनी पत्नी, जो नाबालिग नहीं है। उनको अपने साथ यौन संबंध बनाने के लिए मजबूर करता है, तो उसे बलात्कार के अपराध के लिए अभियोजन से छूट दी जाती है। भारतीय दंड संहिता की धारा 375 के अपवाद खंड के तहत, जिसे अब बीएनएस द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है, किसी पुरुष द्वारा अपनी पत्नी के साथ, यदि पत्नी नाबालिग न हो, यौन संबंध या यौन कृत्य बलात्कार नहीं है।