Maratha Quota: महाराष्ट्र के मंत्री और वरिष्ठ ओबीसी नेता छगन भुजबल ने सोमवार को कहा कि मराठों को ओबीसी के कोटे में शामिल नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य में 374 समुदायों के लिए केवल 17 प्रतिशत आरक्षण है। मंत्री ने ओबीसी नेताओं से मीटिंग के बाद कहा कि अगर ओबीसी समुदाय के लिए निर्धारित आरक्षण में कटौती की गई तो लाखों लोग विरोध प्रदर्शन करेंगे।

एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, भुजबल ने कहा, “अदालत पहले ही मराठों और कुनबियों को एक समुदाय के रूप में वर्गीकृत करने की मांग को मूर्खता पूर्ण बता चुकी है। ओबीसी के लिए निर्धारित 27 प्रतिशत आरक्षण में से 6 प्रतिशत खानाबदोश जनजातियों के लिए, 2 प्रतिशत गोवारी समुदाय के लिए और अन्य छोटे हिस्से अलग-अलग समूहों के लिए निर्धारित हैं। केवल 17 प्रतिशत आरक्षण बचा है और यह भी 374 समुदायों के बीच साझा किया जाता है।”

मराठों को ओबीसी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए- भुजबल

भुजबल ने कहा, “मैं हाथ जोड़कर अनुरोध करता हूं कि मराठों को ओबीसी में शामिल नहीं किया जाना चाहिए।” भुजबल ने जरांगे की मांग का लगातार विरोध किया है। उन्होंने दोहराते हुए कहा कि ऐसा कदम मौजूदा पिछड़े समुदायों के साथ अन्याय होगा। उन्होंने दावा किया कि ओबीसी पहले से ही सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में सीमित अवसरों को हासिल करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और उनके हिस्से में और कमी आने से उन्हें नुकसान होगा।

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लाखों ओबीसी प्रदर्शन करेंगे- भुजबल

भुजबल ने कहा, “मैंने मुख्यमंत्री को ओबीसी संगठनों द्वारा अपनाए गए रुख के बारे में बता दिया है और उन्होंने साफ कर दिया है कि वे अपने अधिकारों से समझौता नहीं होने देंगे।” उन्होंने आगे चेतावनी दी कि अगर ओबीसी के लिए निर्धारित आरक्षण में कटौती की गई तो लाखों ओबीसी विरोध प्रदर्शन करेंगे। उन्होंने कहा, “अगर ओबीसी कोटा में बदलाव किए बिना मराठों को आरक्षण मिलता है तो हमें कोई समस्या नहीं है।”

भुजबल ने कहा कि 1921 के राजपत्र के अनुसार, निजाम के शासनकाल में मराठवाड़ा की जनसंख्या 1 करोड़ 24 लाख 71 हजार थी। इसमें से 34 हजार कुनबी और 14 लाख 60 हज़ार मराठा थे। यानी मराठों की तुलना में कुनबी जाति का अनुपात लगभग 3 प्रतिशत था। भुजबल ने पूछा कि फिर मनोज जरांगे राज्य में मराठा जाति को कुनबी प्रमाणपत्र देने की मांग कैसे कर रहे हैं।

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