उत्तराखंड के धराली गांव में अचानक आई बाढ़ के बाद रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। अभी तक केवल दो ही शव निकाले जा सके हैं और 60 से ज्यादा लोगों के फंसे होने की आशंका है। शुक्रवार को आर्मी, एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवान भी बचाव अभियान में शामिल हुए। मलबे और ढह गई इमारतों में फंसे जिंदा लोगों का पता लगाने के लिए चार लाइफ डिटेक्टर तैनात किए गए हैं। साथ ही एक लोकेटर कैमरा, एक एक्सोथर्मिक कटिंग डिवाइस भी तैनात किया गया था।

शुक्रवार शाम को 6 बजे तक कुल 154 लोगों को हर्षिल से मातली पहुंचाया जा चुका था और 121 लोगों को हरसिल से चिन्यालीसौड़ पहुंचाया गया था। इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तरकाशी के डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल के चीफ मेडिकल सुपरिटेंडेंट पीएस पोखरियाल ने बताया कि उनके संस्थान में सात सैन्यकर्मियों और दो नागरिकों को भर्ती कराया गया है। उन्होंने कहा, ‘एक मरीज आईसीयू में है। हमने कुछ को एम्स ऋषिकेश और देहरादून के अस्पतालों में रेफर किया है। हमने प्राथमिक उपचार और ईएनटी में देखभाल की।’

हर्षिल से बचाए गए एक सैन्यकर्मी, सोनू सिंह ने कहा कि उन्हें बचने की कोई उम्मीद नहीं थी। उत्तर प्रदेश के रहने वाले सिंह ने कहा, ‘मेरे चारों ओर मलबा था। मैं नदी में बह गया और उसके साथ बहता रहा, जब तक कि मैं अपने रास्ते में पड़े एक पेड़ से चिपक नहीं गया। मेरे कई साथी नदी में बह गए।’ उनके आठ साथी अभी भी लापता हैं। इनमें एक जेसीओ भी शामिल हैं। सिंह ने कहा, ‘मैंने उन्हें बहते हुए देखा। मेरे जैसे और भी अग्निवीर थे, लेकिन वे अभी भी लापता हैं।’

उत्तरकाशी में भारी बारिश का अलर्ट

हम धराली में बचाव अभियान के लिए निकल रहे थे – हर्षवर्धन

सीकर के रहने वाले हर्षवर्धन ने बताया, ‘हम धराली में बचाव अभियान के लिए निकल रहे थे, तभी बाढ़ आ गई। मैं नदी के किनारे एक चट्टान पर चढ़ गया और मेरे साथी सैनिकों ने हमें पानी से बाहर निकाला।’ इस बीच, एनडीएमए के प्रमुख और सदस्य सचिव राजेंद्र सिंह ने कहा कि मौसम पूर्वानुमान क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए हरिद्वार, उधमसिंह नगर और औली में जल्द ही डॉप्लर रडार लगाए जाएंगे। उन्होंने मौसम विभाग को इन रडारों को लगाने के लिए उत्तराखंड को प्राथमिकता देने के निर्देश दिए। उन्होंने मिशन मौसम के तहत राज्य के अन्य अहम क्षेत्रों में भी और डॉप्लर रडार लगाने का भरोसा दिया।

सिंह ने कहा कि धराली में राहत और बचाव कार्यों के लिए डोजर, ग्राउंड-पेनेट्रेटिंग रडार जैसे जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए जा रहे हैं। इन्हें भारतीय वायु सेना के एमआई -17 और चिनूक हेलीकॉप्टरों के जरिये सभी जरूरी जगहों पर पहुंचाया जाएगा। एसडीआरएफ का डॉग स्क्वायड भी मलबे में फंसे लोगों की तलाश में लगा हुआ है। खोज में मदद करने वाले कुत्तों के नाम हेजल, जान्सी, ओपन्ना, सारा और राही हैं। सड़क का संपर्क टूटा हुआ है, इसलिए मलबा हटाने के लिए भारी मशीनों की आवाजाही एक भारी चुनौती बन गई है। शुक्रवार को एसडीआरएफ टीमों को मलबे के नीचे दबी इमारतों के अंदर गहन खोज करने के लिए विक्टिम लोकेटिंग कैमरे और थर्मल इमेजिंग कैमरे जैसे उपकरण मिल गए। उत्तराखंड में फिर दोहराया केदारनाथ जैसा मंजर