पंजाब और हरियाणा के बेहद सुरक्षा वाले, सिविल सचिवालय की इमारत में हथियारबंद एक व्यक्ति सुरक्षा के कई स्तरों को पार कर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के कार्यालय पहुंचने में कामयाब रहा। इसके बाद केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआइएसएफ) के छह कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है।
यहां तैनात सीआइएसएफ के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘हमने चूक के लिए छह कर्मियों को निलंबित कर जांच का आदेश दिया है।’ सचिवालय में तैनात सीआइएसएफ कमांडेंट को तलब किया गया है और मंगलवार को हुई कथित चूक के बारे में आगाह किया गया है। गौरतलब है कि सीआइएसएफ के जवानों का एक दस्ता सचिवालय भवन की सुरक्षा में तैनात रहता है।
दिल्ली के एसपी राणा अपनी .32 बोर की लाइसेंसी पिस्तौल के साथ सुरक्षा के तीन स्तर पार कर गए और सचिवालय भवन की चौथी मंजिल पर खट्टर के दफ्तर के बाहर सुरक्षा कर्मचारियों की जांच में आखिरकार उनकी लाइसेंसी पिस्तौल पकड़ में आई।
ऑल इंडिया एंबुलेंस वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष राणा ने कहा कि वह 20-30 पदाधिकारियों के एक समूह में थे जिनको खट्टर से मिलने का वक्त मिला हुआ था। राज्य के निजी एंबुलेंस संचालकों ने एंबुलेंसों पर यात्रीकर के विरोध में मंगलवार को एक दिन की हड़ताल की थी और वह उसे वापस लेने का अनुरोध करने वाले थे।
जब उनसे पूछा गया कि वह हथियार लेकर सचिवालय भवन क्यों गए राणा ने फोन पर बताया कि उन्हें सुरक्षा प्रतिबंधों के बारे में जानकारी नहीं थी। उन्होंने कहा, ‘मुझे पता नहीं था कि सचिवालय के भीतर कोई लाइसेंसी बंदूक तक नहीं ले जा सकता।’
उन्होंने कहा, ‘एसोसिएशन के सदस्यों ने गेटपास लिया जिसके बाद हम सचिवालय भवन में दाखिल हुए, सीआइएसएफ कर्मी की कोई गलती नहीं है, उन्होंने अपना कर्तव्य पूरा किया। मैं पूरी जिम्मेदारी से स्वीकारता हूं कि यह मेरी गलती है। मुझे नहीं मालूम था कि पिस्तौल, यदि लाइसेंसी हो तो भी उसे भवन में ले जाने की इजाजत नहीं है।’
उन्होंने कहा कि चौथे तल पर मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मियों ने उनसे पूछा कि क्या उनके पास कोई हथियार है। तब मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास लाइसेंसी पिस्तौल है। उन्होंने मुझसे सवाल जवाब किए और मैंने जब अपनी पृष्ठभूमि साबित कर दी और अपने हथियार का लाइसेंस पेश किया तब उन्होंने मुझे वहां से चले जाने दिया लेकिन उन्होंने मुझे मुख्यमंत्री खट्टर से नहीं मिलने दिया।
राणा ने कहा, ‘मैं पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और मैं मानता हूं कि यह गलती है। मैंने सचिवालय में संबंधित अधिकारियों को भी लिखकर यह बात कही है। मैं पहली बार सचिवालय गया था और मुझे प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं थी।’
उन्होंने दावा किया कि वह हमेशा अपनी सुरक्षा के लिए हथियार लेकर चलते हैं क्योंकि उन्हें बराबर अन्य राज्यों का दौरा करना पड़ता है जहां खतरा होता है। वे दस साल से यह हथियार रख रहे हैं और इस साल के अंत तक लाइसेंस वैद्य है।
राणा मूल रूप से उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले हैं। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने सचिवालय भवन में दाखिल होने से पहले यह हथियार किसी के पास क्यों नहीं छोड़ दिया तो उन्होंने जवाब दिया, ‘मैंने सोचा कि यह असुरक्षित होगा।’ उन्होंने कहा कि उनका संबंधित अधिकारियों से विनम्र अनुरोध है कि वे मेरी गलती के लिए निर्दोष सीआइएसएफ अधिकारियों को दंडित न करें।
नहीं थी कोई बुरी नीयत
* दिल्ली के एसपी राणा अपनी .32 बोर की लाइसेंसी पिस्तौल के साथ सुरक्षा के तीन स्तर पार कर गए और सचिवालय भवन की चौथी मंजिल पर खट्टर के दफ्तर के बाहर सुरक्षा कर्मचारियों की जांच में उनकी लाइसेंसी पिस्तौल पकड़ में आई।
* राणा ने कहा कि चौथे तल पर मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मियों ने पूछा कि क्या उनके पास कोई हथियार है। तब मैंने उन्हें बताया कि मेरे पास लाइसेंसी पिस्तौल है। उन्होंने मुझसे सवाल-जवाब किए और मैंने जब अपने हथियार का लाइसेंस पेश किया तब उन्होंने मुझे वहां से चले जाने दिया।
* राणा ने कहा, ‘मैं पूरी जिम्मेदारी लेता हूं और मैं मानता हूं कि यह गलती है। मैंने सचिवालय में संबंधित अधिकारियों को भी लिखकर यह बात कही है। मैं पहली बार सचिवालय गया था और मुझे प्रक्रियाओं की जानकारी नहीं थी।’