भारत ने आज कहा कि वह भूकंप से आहत नेपाल के लोगों के आंसू पोंछने की कोशिश करेगा और इस आपदा की घड़ी में उनकी हरसंभव सहायता के लिए उनके साथ खड़ा रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में कहा, ‘‘नेपाल के मेरे प्यारे भाइयों और बहनों, दुख की इस घड़ी में भारत आपके साथ है…125 करोड़ भारतीयों के लिए नेपाल उनका अपना है। भारत प्रत्येक नेपाली के आंसू पोंछने के लिए हरसंभव प्रयास करेगा, उनके हाथों को थामेगा और उनके साथ खड़ा रहेगा।’’
नेपाल में कल आए प्रलंयकारी भूकंप सहित क्षेत्र में पिछले कुछ समय में आई प्राकृतिक आपदाओं पर संवेदना प्रकट करते हुए मोदी ने कहा कि वह दुखी हैं और आज के इस रेडियो प्रसारण के इच्छुक नहीं थे।
‘‘पिछले महीने जब मैंने आपसे बात की थी तो बेमौसम बरसात और ओलावृष्टि हुई थी, जिससे किसान तबाह हो गए। कुछ दिन पहले बिहार में आए तूफान ने बहुत से लोगों की जान ले ली और भारी नुकसान हुआ। और अब शनिवार को इस विध्वंसक भूकंप ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसा लगता है कि प्राकृतिक आपदाओं का एक सिलसिला शुरू हो गया है। भूकंप से भारत के विभिन्न राज्यों में कई लोगों की जान गई। संपत्ति का भी नुकसान हुआ। लेकिन नेपाल में जो तबाही और नुकसान हुआ है वह बहुत ज्यादा है।’’
मोदी ने कहा कि वह नेपाल की जनता का दर्द समझ सकते हैं क्योंकि उन्होंने जनवरी 2001 के भूकंप को नजदीक से देखा है जब गुजरात में कच्छ का इलाका तबाह हो गया था।
इस बात पर जोर देते हुए कि मलबे के नीचे दबे लोगों में से ज्यादा से ज्यादा को जीवित बाहर निकालना वक्त की सबसे पहली जरूरत है, मोदी ने कहा कि बचाव अभियानों के बाद राहत और पुनर्वास कार्य लंबे समय तक चलेगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘मलबे के नीचे अभी भी लोग जीवित हो सकते हैं और उन्हें बचाना होगा। हमने विशेषज्ञों के दल भेजे हैं। उनके साथ ही हमने खोजी कुत्ते भी भेजे हैं, जो मलबे के तले दबे जीवित लोगों को सूंघकर संकेत देने के लिए खास तौर से प्रशिक्षित हैं। हमारा ध्यान ज्यादा से ज्यादा लोगों को जीवित बचाने पर है।’’