आंध्र प्रदेश को विशेष राज्‍य का दर्जा देने के मसले पर आखिरकार NDA में टूट हो ही गई। आंध्र में सत्‍तारूढ़ और NDA के घटक दल TDP ने पहले नरेंद्र मोदी सरकार से बाहर होने का फैसला किया और अब गठबंधन से भी किनारा कर लिया। दरअसल, तत्‍कालीन प्रधानमंत्री डॉक्‍टर मनमोहन सिंह ने आंध्र के विभाजन के वक्‍त 20 फरवरी, 2014 को राज्‍यसभा में महत्‍वपूर्ण बयान दिया था। उन्‍होंने कहा था, ‘केंद्रीय मदद मुहैया कराने के उद्देश्‍य से 13 जिलों वाले (पुनर्गठित) आंध्र प्रदेश को पांच वर्षों के लिए ‘विशेष श्रेणी का दर्जा’ (स्‍पेशल कैटेगरी स्‍टेटस) दिया जाएगा। इन जिलों में रायलसीमा के चार और तीन उत्‍तरी तटवर्ती जिले भी शामिल हैं। इससे राज्‍य की वित्‍तीय स्थिति मजबूत होगी।’ मनमोहन सिंह ने तेलंगाना के अलग होने के बाद आंध्र प्रदेश में औद्योगिकरण और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए कर में छूट देने की भी बात कही थी। साथ ही राज्‍य के पिछड़े जिलों के लिए स्‍पेशल डेवलपमेंट पैकेज देने की भी घोषणा की गई थी। खासकर रायलसीमा और तटवर्ती जिलों पर खास ध्‍यान देने का वादा किया गया था। बता दें कि फरवरी, 2014 (लोकसभा से 18 और राज्‍यसभा से 20 फरवरी को पारित) में आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक को पारित किया गया था। आंध्र प्रदेश के बंटवारे के तौर-तरीकों पर विचार के लिए श्रीकृष्‍ण आयोग का गठन किया गया था।

क्‍यों है विवाद: केंद्र पर आरोप लगाया जा रहा है कि तेलंगाना के अलग होने के बाद आंध्र प्रदेश से किए गए वादों पर अमल नहीं किया गया। नरेंद्र मोदी सरकार 14वें वित्‍त आयोग की सिफारिश का हवाला देकर विशेष राज्‍य का दर्जा देने में असमर्थता जता रही है। केंद्रीय मंत्री कई मौकों पर कह चुके हैं कि केंद्र सरकार केंद्रीय परियोजनओं के लिए 90 फीसद तक धन मुहैया कराने के लिए तैयार है, लेकिन विशेष दर्जा नहीं दिया जा सकता है। वित्‍त आयोग की सिफारिशों के अनुसार, सिर्फ पूर्वोत्‍तर और हिमालयन स्‍टेट को ही विशेष राज्‍य का दर्जा दिया जा सकता है। लेकिन, आंध्र प्रदेश के राजनीतिक दल केंद्र की दलीलों से सहमत नहीं हैं।

हैदराबाद पर खींचतान: शुरुआत में हैदराबाद को चंडीगढ़ की तर्ज पर आंध्र और तेलंगाना की संयुक्‍त राजधानी बनाने का प्रस्‍ताव था। लेकिन, भौगोलिक और सांस्‍कृतिक आधार को देखते हुए इसको लेकर गहरे मतभेद सामने आए। इसके बाद इस प्रस्‍ताव को ठंडे बस्‍ते में डाल दिया गया था। अमरावती में आंध्र की राजधानी विकसित होने तक हैदराबाद को संयुक्‍त राजधानी बनाने पर सहमति बनी थी। बता दें कि हैदराबाद देश के प्रमुख आर्थिक हब में से एक है। आंकड़ों के मुताबिक, संयुक्‍त आंध्र प्रदेश में सिर्फ इस शहर का राज्‍य के कुल जीडीपी में 8 फीसद तक की हिस्‍सेदारी थी। हैदराबाद में प्रति व्‍यक्ति आय राज्‍य से दोगुनी थी। इसके अलावा औद्योगिक उत्‍पादन में भी शहर की हिस्‍सेदारी 5.51 फीसद थी। सर्विस सेक्‍टर में इस शहर का योगदान 14 फीसद से भी ज्‍यादा था। ऐसे में हैदराबाद के आंध्र प्रदेश से अलग होने की स्थिति में आर्थिक स्थिति चरमरा गई थी। हैदराबाद आईटी हब होने के साथ ही उच्‍च शैक्षणिक संस्‍थानों के लिए भी पूरे देश में मशहूर है।