गुजरात चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर नीच कमेंट कर विवादों में घिरे कांग्रेस के निलंबित नेता मणिशंकर अय्यर ने अपना दर्द बयां किया है। एनडीटीवी.कॉम पर ‘जिसने भी गुजरात फतह किया हो मगर मैं हारा’ नामक लिखे एक कॉलम में उन्होंने कहा है कि चूंकि वो दक्षिण भारत से हैं और उनकी हिन्दी अच्छी नहीं है। इसलिए उन्होंने नीच शब्द का इस्तेमाल लो लेवेल के लिए किया था मगर प्रधानमंत्री मोदी ने उसे जाति से जोड़ दिया। बता दें कि गुजरात चुनावों के दूसरे दौर से पहले मणिशंकर अय्यर के इस बयान की वजह से बीजेपी खासकर पीएम मोदी गुजराती लोगों के बीच गुजराती अस्मिता को भुनाने में कामयाब रहे।

कांग्रेस नेताओं का भी मानना है कि दूसरे चरण में पार्टी को उम्मीददों के अनुरूप न तो सीटें मिलीं और न ही वोट प्रतिशत। पार्टी नेताओं का मानना है कि इसके पीछे नीच बयान और बीजेपी द्वारा झूठा प्रचार करना शामिल है। अय्यर ने भी अपने आलेख में इस बात का उल्लेख किया है कि फारूक अब्दुल्ला से लेकर तमाम राजनीतिक विश्लेषकों ने उनके बयान की वजह से कांग्रेस को नुकसान बताया है।

लंबे आलेख के अंत में मणिशंकर अय्यर ने लिखा है, “हालांकि, मेरे दिमाग में यह सवाल हमेशा कौंधता रहेगा कि क्या मेरे नीच बयान की वजह से पार्टी को कुछ सीटों का नुकसान उठाना पड़ा या पीएम मोदी ने मेरे विशेषणयुक्त बयान को जानबूझकर, तोड़-मरोड़कर उसे जातीय रंग दिया।” अंत में अय्यर ने एक सवाल भी पूछा है, “क्या प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ झूठ बोलकर मुझे बदनाम करने, बेइज्जत करने और मानहानि करने का मुकदमा  ठोकना चाहिए?”

बता दें कि 6 दिसंबर को दिल्ली में अंबेडकर प्रतिष्ठान द्वारा आयोजित एक भवन के उद्घाटन समारोह में पीएम ने जवाहर लाल नेहरू पर भी डा. भीमराव अंबेडकर के साथ पक्षपात करने और उनकी भूमिका को कम करके दिखाने का आरोप लगाया था। इस पर जब पत्रकारों ने अय्यर से प्रतिक्रिया चाही तो उन्होंने अपनी बात में प्रधानमंत्री मोदी का नाम लिए बिना उन्हें नीच कहा। चुनावी माहौल में मौका पाते ही बीजेपी ने इस बयान को हाथों हाथ ले लिया और चौतरफा कांग्रेस और मणिशंकर अय्यर पर हमला बोल दिया। प्रधानमंत्री मोदी ने खुद इसे गुजराती अस्मिता से जोड़ते हुए कहा था कि हां वो नीच जाति में पैदा हुए हैं मगर ऊंचे काम किए हैं।