कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने गुरुवार को दावा किया कि भारत जब भी संयम बरतता है तो पाकिस्तान इसे कमजोरी का संकेत मानता है। उनकी तरफ से यह बयान 2008 के मुंबई आतंकी हमले पर तत्कालीन मनमोहन सरकार की प्रतिक्रिया पर आलोचनात्मक टिप्पणी आने के बाद आया है।
मनीष तिवारी ने अपने किताब में मुंबई हमले पर यूपीए सरकार की प्रतिक्रिया पर असंतोष जाहिर किया है। मनीष तिवारी ने कहा कि यह दृष्टिकोण आधारित तथ्य है कि यूपीए सरकार ने कार्रवाई में संयम बरता था। कांग्रेस सांसद ने कहा कि भारतीय सेना की तरफ से किए गए सर्जिकल स्ट्राइक से पाकिस्तान के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया। ऐसा हुआ होता तो पुलवामा में आतंकी हमला नहीं होता। मनीष तिवारी ने कहा कि भारत जब भी संयम बरतता है, पाकिस्तान उसे हमारी ताकत का प्रतीक नहीं मानता, बल्कि वह उसे हमारी कमजोरी के तौर पर लेता है।
मनीष तिवारी की किताब ’10 फ्लैशप्वाइंट, 20 साल’ का विमोचन करते हुए पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन ने कहा कि चीन आज भारत के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। उन्होंने कहा कि हालांकि तिवारी ने जो कहा है, उसके व्यापक स्तर से वह सहमत हैं, लेकिन वह 26/11 के आतंकी हमलों पर कार्रवाई जैसे सामरिक मुद्दों पर उनसे असहमत हैं।
”पूर्व एनएसए ने कहा, “लेकिन, उनका अंतिम निष्कर्ष चिंताजनक है। वे इस नतीजे पर पहुंचे कि आज देश पहले की तुलना में कम सुरक्षित है। यह एक सुखद अंत नहीं है। काश, वह एलएसी पर जो हो रहा है, उस पर और अधिक कहते, जो एक जीवंत मुद्दा है।”
कांग्रेस नेता तिवारी ने कहा कि मोदी सरकार ने सर्जिकल स्ट्राइक को सार्वजनिक किया। पर साथ ही उन्होंने कहा कि इससे पाकिस्तान के रुख में कोई बदलाव नहीं आया है। चीन के साथ रिश्तों पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि सरकार सच्चाई नहीं बता रही है।
मनीष तिवारी ने अपनी किताब में लिखा है कि मुंबई हमले के बाद उस समय की यूपीए सरकार को पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए थी। यह ऐसा समय था जब एक्शन लिया जाना बहुत आवश्यक था।