दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदियो को कथित शराब घोटाले में जमानत मिल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें बड़ी राहत देते हुए18 महीने बाद जेल से बाहर आने की इजाजत दी है। अब किन दलीलों के आधार पर जमानत मिली, क्या शर्तें रखी गईं, यह सभी को पता चल चुका है। लेकिन एक सवाल भी है जो कई लोगों के मन में आ रहा है। क्या मनीष सिसोदिया फिर दिल्ली के डिप्टी सीएम बन सकते हैं? क्या कोई व्यक्ति जो जमानत पर बाहर आया हो, क्या फिर ऐसे पद पर आसीन हो सकता है?
कानून क्या कहता है?
अब यही बात समझने के लिए हमने एक कानूनी जानकार से बात की तो पता चला कि कानून तो साफ कहता है कि जब तक कोई अपराधी साबित ना हो जाए, जब तक सारे आरोप सिद्ध ना हो जाए, कोई भी शख्स चुनाव भी लड़ सकता है और इस तरह से पद पर भी आसीन हो सकता है। समझने वाली बात यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भी कई गंभीर आरोप लगे हैं, उन्हें जांच एजेंसी ने किंग पिन तक बता डाला है, लेकिन फिर भी वे सीएम बने हुए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि कोई भी आरोप अभी सिद्ध नहीं हुआ है, कोर्ट ने उन्हें दोषी नहीं मान लिया है।
सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट ने किन शर्तों पर दी जमानत
सिसोदिया के केस से समझिए
इसी लॉजिक को आधार बनाकर अगर सोचा जाए तो मनीष सिसोदिया को भी फिर से दिल्ली का डिप्टी सीएम बनाया जा सकता है। उन्हें कोर्ट ने कोई दोषी नहीं मान लिया है, बस आरोप हैं जिनकी जांच अभी भी जारी है। एक पहलू यह भी समझने वाला है नेताओं पर आरोप तो पहले भी कई मौकों पर लग चुके हैं। लेकिन कोई कानून यह नहीं कहता है कि आरोप लगते ही वे अपना पद छोड़ दें। लेकिन देश की जैसी राजनीति रही है, कई नेता नैतिकता के आधार पर अपना पद छोड़ देते हैं। जिस कानूनी जानकार से हमने बात की, उन्होंने दो टूक कहा कि कानून के आधार पर कोई अपना पद नहीं छोड़ रहा है, सिर्फ नैतिकता के आधार पर ही ऐसे फैसले होते हैं। मनीष सिसोदिया ने भी नैतिकता के आधार पर ही डिप्टी सीएम का पद छोड़ा था।
लेकिन एक बड़ा लोचा भी है!
अब यह बात तो सच है कि जब तक आरोप सिद्ध नहीं, जब तक कोई दोष नहीं, आप सरकारी पद पर बैठ सकते हैं, लेकिन एक बड़ी अड़चन भी है। वैसे तो यह दुविधा नहीं रहती, लेकिन सिसोदिया केस में जरूर मामला फंस सकता है। अगर ध्यान से देखा जाए तो जब भी कोई कैबिनेट एक्सपेंशन होता है, तब सीएम खुद एलजी के पास जाता है और नामों पर मुहर लगवाता है। लेकिन यहां तो अरविंद केजरीवाल अभी जेल में चल रहे हैं। जैसी शर्तें हैं, वे जेल में बैठकर किसी सरकारी कागज पर हस्ताक्षर भी नहीं कर सकते। ऐसे में सिसोदिया की डिप्टी सीएम बनने वाली एप्लीकेशन को आगे कौन बढ़ाएगा? यह सही बात है कि अगर केजरीवाल अपील करेंगे तो एलजी को डिप्टी सीएम बनाना ही पड़ेगा, लेकिन वो अपील होगी कैसे? जेल में रहकर तो यह मुमकिन नहीं लगता है।