मणिपुर हिंसा मामले में गृह मंत्रालय ने बड़ा एक्शन लिया है। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मणिपुर में हुई हिंसा से जुड़े तीन मामलों को अपने हाथ में ले लिया है। गृह मंत्रालय द्वारा हाल ही में जारी आदेश के बाद एजेंसी ने मणिपुर पुलिस से ये मामले अपने हाथ में ले लिए हैं। इन घटनाओं के कारण कई लोगों की जान गई थी और सार्वजनिक व्यवस्था में व्यवधान उत्पन्न हुआ था।
गृह मंत्रालय की ओर जारी बयान में कहा गया है कि सरकार मणिपुर में शाति बहाल करने की काम कर रही है। किसी भी तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गृह मंत्रालय ने बताया कि मणिपुर में हाल ही में घटना को देखते हुए 3 केस NIA को सौंपे गए हैं- सीआरपीएफ और कुकी आतंकी मुठभेड़ मामला, 6 लोगों की किडनैपिंग का मामला, जिरीबाम में 6 लोगों की अपहरण के बाद हत्या का मामला।
ये तीन मामले देखेगी NIA
पहला मामला 8 नवंबर, 2024 को जिरीबाम इलाके में सशस्त्र आतंकवादियों द्वारा एक महिला की हत्या के संबंध में जिरीबाम पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था। दूसरा मामला 11 नवंबर, 2024 को बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था, जो सशस्त्र आतंकवादियों द्वारा जकुराधोर करोंग और बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन, जिरीबाम में स्थित केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल पोस्ट (ए-कंपनी, 20 वीं बटालियन) पर हमले से जुड़ा था। तीसरा मामला 11 नवंबर, 2024 को बोरोबेकरा क्षेत्र में घरों को जलाने और नागरिक की हत्या के संबंध में बोरोबेकरा पुलिस स्टेशन में दर्ज किया गया था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से मणिपुर में दोबारा हो रही हिंसा से निपटने के लिए बड़े कदम उठाए जा रहे हैं। इसके तहत CAPF के 2000 जवान भेजे गए हैं, ज़रूरत पड़ने पर CAPF की और कंपनियां भेजी जाएंगी।
मणिपुर में फिर भड़की हिंसा
मणिपुर हिंसक विरोध प्रदर्शन की ताजा घटनाएं शनिवार रात को हुईं। जिरीबाम जिले में उग्रवादियों की ओर से तीन महिलाओं और तीन बच्चों की हत्या कर दिए जाने से लोगों में गुस्सा है। आक्रोशित लोगों ने 16 नवंबर को राज्य के तीन मंत्रियों और छह विधायकों के आवासों पर हमला बोला था। उसके बाद से वहां अनिश्चितकालीन कर्फ्यू लगा दिया गया। अधिकारियों ने बताया था कि भीड़ ने इंफाल घाटी के विभिन्न जिलों में एक वरिष्ठ मंत्री समेत तीन और भाजपा विधायकों और एक कांग्रेस विधायक के आवास में आग लगा दी थी।
NPP ने मणिपुर की BJP सरकार से समर्थन वापस लिया
इस सबके बीच नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) ने रविवार को मणिपुर की बीजेपी सरकार से समर्थन वापस ले लिया। पार्टी ने दावा किया कि एन बीरेन सिंह सरकार राज्य में संकट का समाधान करने और सामान्य स्थिति बहाल करने में पूरी तरह से नाकाम रही है। गौरतलब है कि मणिपुर की 60 सदस्यीय विधानसभा में एनपीपी के 7 विधायक हैं। हालांकि, समर्थन वापसी से सरकार पर कोई असर नहीं पड़ेगा क्योंकि भाजपा के पास खुद के 32 विधायकों के साथ सदन में पूर्ण बहुमत है। बीजेपी के पास नगा पीपुल्स फ्रंट (NPF) के 5 और जनता दल यूनाइटेड (JDU) के 6 विधायकों का भी समर्थन है।
मणिपुर में जातीय हिंसा की आग
मणिपुर पिछले डेढ़ साल से जातीय हिंसा की चपेट में है। यह संघर्ष मुख्य रूप से मैतेयी और कुकी समुदायों के बीच है। यह विवाद भूमि अधिकार और आरक्षण से संबंधित मुद्दों के कारण शुरू हुआ था, जिसने हिंसक रूप ले लिया और राज्य दो जातीय क्षेत्रों में बंट गया। एक मैतेयी प्रभुत्व वाला घाटी क्षेत्र और दूसरा कुकी-प्रभुत्व वाला पहाड़ी क्षेत्र। अब तक इस हिंसा में 250 से ज्यादा लोग मारे जा चुके हैं और हजारों विस्थापित हुए हैं।